बीजिंग : हांगकांग सुरक्षा कानून पारित होने के बाद ब्रिटेन ने हांगकांग वासियों को नागरिकता देने की पेशकश की है. ब्रिटेन की इस पेशकश पर चीन भड़क गया है. चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि हांगकांग के नए सुरक्षा कानून को लेकर चीन पर प्रतिबंध लगाने के कुछ देशों के कदम इस मामले में विदेशी हस्तक्षेप हैं.
गौरतलब है कि ब्रिटेन ने बुधवार को घोषणा की कि वह हांगकांग के 30 लाख निवासियों को नागरिकता अधिकार दे रहा है. ब्रिटेन ने कहा है कि उसका उपनिवेश होने के कारण हांगकांग के प्रति ब्रिटेन की कानूनी और नैतिक जिम्मेदारी है. ब्रिटिश शासन ने कहा है कि वह हांगकांग के लोगों को पांच साल के लिए नागरिकता और ब्रिटेन में रहने और काम करने की अनुमति देगा. हालांकि, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने इस कदम की निंदा की है.
गुरुवार को चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि विदेशी ताकतों का कोई भी दबाव 'चीन के संकल्प और राष्ट्रीय संप्रभुत्ता तथा हांगकांग की समृद्धि एवं स्थिरता की रक्षा करने की इच्छाशक्ति को हिला नहीं सकता.' उन्होंने अमेरिका से अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करने और हांगकांग के मामलों में हस्तक्षेप न करने तथा प्रतिबंध वाले विधेयक पर हस्ताक्षर न करने का अनुरोध किया.
उनकी यह टिप्पणी तब आई है जब अमेरिका की प्रतिनिधि सभा ने बुधवार को हांगकांग में कार्रवाई के लिए चीन को फटकार लगाने वाला विधेयक पारित किया. इस विधेयक में हांगकांग की स्वायत्ता और उसके निवासियों की आजादी को कमतर करने वाले समूहों पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है.
झाओ ने नियमित संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'अगर यह विधेयक कानून बनता है तो चीन निश्चित तौर पर जवाबी कदम उठाएगा और इसके सभी परिणाम अमेरिका को भुगतने होंगे.'
ऑस्ट्रेलिया को चेतावनी
वहीं, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने गुरुवार को कहा कि उनकी सरकार हांगकांग निवासियों को 'पनाहगाह' मुहैया कराने के ऐसे ही कदम पर विचार कर रही है. मॉरिसन की पेशकश पर झाओ ने ऑस्ट्रेलिया को 'गलत रास्ते पर आगे नहीं बढ़ने' की चेतावनी भी दी.
ऑनलाइन कैंपेन
इस बीच बीजिंग समर्थक दर्जनों कार्यकर्ताओं, सांसदों ने हांगकांग में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के बाहर प्रदर्शन करते हुए अमेरिका से हस्तक्षेप न करने की मांग की. समूह ने कहा कि उसने अपनी मांग के समर्थन में 16 लाख हस्ताक्षर ऑनलाइन एकत्रित किए हैं.