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शीतकालीन ओलंपिक में गलवान घाटी के सैनिक को मशाल वाहक बनाना मानदंडों को पूरा करता है: चीन

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Published : Feb 7, 2022, 6:41 PM IST

Updated : Feb 7, 2022, 10:03 PM IST

चीन ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के एक सैनिक को शीतकालीन ओलंपिक के लिए मशाल वाहक बनाने को सही ठहराया है. चीन ने कहा कि वह उसके मानदंडों को पूरा करता है. बता दें कि शीतकालीन ओलंपिक में गलवान घाटी में झड़प के दौरान घायल हुए चीनी सैनिक को मशाल वाहक बनाया था जिस पर भारत ने उद्घाटन समारोह का राजनयिक स्तर पर शुक्रवार को बहिष्कार किया था. पढ़िए ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चन्द्रकला चौधरी की रिपोर्ट...

flag of china
चीन का झंडा (प्रतीकात्मक फोटो)

बीजिंग : पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में जून 2020 में सीमा झड़प में शामिल पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के एक सैनिक को शीतकालीन ओलंपिक के लिए एक मशाल वाहक के तौर पर उतारने के अपने कदम को लेकर व्यापक आलोचना का सामना कर रहे चीन ने सोमवार को कहा कि उसका चयन 'मानदंडों' को पूरा करता है. साथ ही, चीन ने कहा कि उसके (मशाल वाहक के) चयन को वस्तुनिष्ठ और तर्कसंगत आलोक में देखा जाना चाहिए.

चीन ने अत्यधिक सक्रियता से एक कदम उठाते हुए पीएलए के रेजिमेंटल कमांडर ची फबाओ को 'ओलंपिक गेम्स टॉर्च रिले' के लिए मशाल वाहक बनाया है. इसके चलते भारत ने खेल के उद्घाटन समारोह का राजनयिक स्तर पर शुक्रवार को बहिष्कार किया था. उल्लेखनीय है कि फबाओ जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के दौरान घायल हो गया था. इस बारे में ग्लोबल टाइम्स ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भारतीय सैनिकों से झड़प के दौरान इस चीनी के सैनिक के सिर पर चोट लगी थी. वहीं इस मुद्दे पर ईटीवी भारत के सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कमांडर को सम्मानित करने के चीन के कदम को खेदजनक बताया था.

शीर्ष अमेरिकी सांसदों ने भी चीन के इस कदम को 'शर्मनाक' और 'जानबूझ कर उकसाने वाला' बताया है. यहां सोमवार को प्रेस वार्ता में यह पूछे जाने पर कि क्या फबाओ को मशाल रिले में उतारना चीन के इस दृष्टिकोण के खिलाफ गया है कि ओलंपिक को खाई पाटनी चाहिए, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा, 'मैं जोर देते हुए यह कहना चाहता हूं कि बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक के मशाल वाहक व्यापक रूप से प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, वे सभी संबद्ध मानदंडों को पूरा करते हैं.'

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उन्होंने कहा, 'हमें उम्मीद है कि संबद्ध पक्ष इसे एक वस्तुनिष्ठ और तर्कसंगत आलोक में देख सकते हैं.' यह पूछे जाने पर कि क्या इस कदम ने भारत की संवेदनशीलताओं की अनदेखी की है, झाओ ने कहा, 'मैं यह कहना चाहता हूं कि संबद्ध पक्षों को मशाल वाहक के चयन को वस्तुनिष्ठ और तर्कसंगत आलोक में देखना चाहिए तथा एक राजनीतिक परिप्रेक्ष्य से इसका ज्यादा मतलब नहीं निकालना चाहिए.'

गौरतलब है कि गलवान झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मियों ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे. इसे भारत और चीन के बीच पिछले कुछ दशकों में सबसे गंभीर सैन्य टकराव माना जाता है. चीन ने पिछले साल फरवरी में आधिकारिक रूप से स्वीकार किया था कि पांच चीनी सैन्यकर्मी गलवान झड़प में मारे गए थे.

Last Updated : Feb 7, 2022, 10:03 PM IST

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