इस्लामाबाद : पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में एक आक्रामक भीड़ ने हिंदू संत के मंदिर में तोड़फोड़ की और उसे क्षतिग्रस्त कर दिया. घटना करक जिले के तेरी इलाके में हुई. इस मामले में अब तक 30 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. प्रांतीय पुलिस प्रमुख केपीके सनाउल्लाह अब्बासी ने कहा है कि एफआईआर में 350 से अधिक लोगों का नाम लिया गया है. घटना को पाक सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है और कमेटी का गठन कर चार दिन में रिपोर्ट तलब की है. पाकिस्तान के कई मंत्रियों ने घटना की निंदा की है.
मुख्य न्यायाधीश ने जताया दुख
पाक की शीर्ष अदालत के एक बयान के अनुसार, हिंदू विधिवेत्ता और पाकिस्तान हिंदू परिषद के प्रमुख रमेश कुमार वांकवानी ने इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए कराची में मुख्य न्यायाधीश गुलजार अहमद से मुलाकात की. पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश ने दुखद घटना पर गंभीर चिंता व्यक्त की. साथ ही संसद के सदस्य को सूचित किया कि उन्होंने इस मुद्दे पर पहले ही संज्ञान ले लिया है. बयान के अनुसार, इस्लामाबाद में 5 जनवरी को अदालत के समक्ष मामला तय किया है. अदालत ने अल्पसंख्यक अधिकार मंत्री सहित खैबर पख्तूनवा के मुख्य सचिव, इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस को घटनास्थल पर जाने और 4 जनवरी को रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए निर्देश जारी किया है।
मंत्रियों ने की घटना की निंदा
घटना के बाद पाकिस्तानी नेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय ने की निंदा की. धार्मिक मामलों के मंत्री नूरुल हक कादरी ने मंदिर के तोड़फोड़ को इस्लाम की शिक्षा के खिलाफ करार दिया. कहा कि देश का संविधान अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है. पाकिस्तान के संघीय संसदीय सचिव मानवाधिकार लाल चंद मल्ही ने मंदिर पर हमले की कड़ी निंदा की. खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री महमूद खान ने मंदिर पर हमले को दुर्भाग्यपूर्ण घटना कहा. उन्होंने घटना में शामिल लोगों को तत्काल गिरफ्तार करने का आदेश दिया. खान ने कसम खाई कि उनकी सरकार ऐसी घटनाओं से पूजा स्थलों की रक्षा करेगी. हिंदू समुदाय के नेता पेशावर हारून सरबयाल ने कहा कि इस घटना से हिंदू समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंची है और इस्लामिक विचारधारा परिषद को इस पर ध्यान देना चाहिए.
पहले भाषण दिया फिर की तोड़फोड़
स्थानीय निवासी ने कहा कि वे मंदिर के बाहर इकट्ठा हुए, भाषण दिया और फिर मंदिर की ओर बढ़े और उस पर हमला कर दिया. 1920 से पहले बनाया गया यह मंदिर एक ऐतिहासिक पूजा स्थल था. इलाके के एक अन्य स्थानीय निवासी ने कहा कि मंदिर में तोड़फोड़ करने से पहले भीड़ ने उसमें आग लगा दी. हिंदू समुदाय के एक व्यक्ति के निमार्णाधीन मकान को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया. स्थानीय लोगों ने बताया कि आस-पास के गांवों के लोगों ने हिंदू मंदिर को हटाने की मांग के साथ एक विरोध-प्रदर्शन की घोषणा की थी, लेकिन पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया.
सोशल मीडिया पर शेयर किया वीडियो
सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक विचलित करने वाले वीडियो में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी मंदिर की दीवारों को गिराते हुए दिखे. करक जिले के पुलिस अधिकारियों ने घटना की पुष्टि की है. करक जिला के पुलिस अधिकारी इरफानुल्ला ने कहा कि लोगों ने विरोध का आह्वान किया था. लेकिन एक आश्वासन के साथ कि यह शांतिपूर्ण होगा. हालांकि, मौलवी ने भीड़ को उकसाया, जिसके बाद वे धर्मस्थल पर हमला करने के लिए आगे बढ़े. यह दूसरी बार है कि धर्मस्थल पर हमला किया गया है. इसे 1997 में ध्वस्त कर दिया गया था और फिर 2015 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इसका पुनर्निर्माण किया गया.
पुलिस का दावा, इलाके में हिंदू नहीं
इरफानुल्ला ने कहा कि इलाके में कोई हिंदू नहीं है. उन्होंने कहा कि मंदिर के रखवालों ने चोरी छुपे मंदिर के पास ही एक घर को कब्जे में ले लिया था. प्रदर्शनकारी इसके निर्माण के खिलाफ थे. उनका कहना था कि मंदिर का विस्तार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि भीड़ ने निमार्णाधीन मकान को क्षतिग्रस्त कर दिया. जिसके चलते पास में स्थित मंदिर को भी नुकसान पहुंचा. प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है और कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है.