नई दिल्ली :अमेरिका के विदेश विभाग ने बहुत सारे चीनी नागरिकों की वीजा पर रोक लगी दी है, जबकि वाणिज्य विभाग ने चीन द्वारा दक्षिण चीन सागर के सैन्यीकरण की वजह से उसके 24 उपक्रमों के खिलाफ व्यापार प्रतिबंध लागू कर दिया है.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इसी साल होने वाले चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार के रूप में फिर अपनी उम्मीदवारी स्वीकार होने के मौके पर, गुरुवार को अपने भाषण के दौरान बीजिंग के खिलाफ कौन से संभावित कदम उठाने वाले हैं इसके बारे में विस्तार से बताते उसके पहले ऐसा हुआ है.
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने एक बयान में कहा है कि हम आकार की परवाह किए बगैर सभी देशों की संप्रभुता के अधिकारों का सम्मान करते हैं. अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप समुद्र में शांति और उसकी स्वतंत्रता को बनाए रखना चाहते हैं. अमेरिका मुक्त और खुले दक्षिण चीन सागर का समर्थन करता है.
वीजा प्रतिबंध लगाना शुरू
पोम्पिओ ने कहा कि अमेरिकी विदेश विभाग चीन के उन लोगों के वीजा पर प्रतिबंध लगाना शुरू करेगा जो, दक्षिण चीन सागर में बड़े पैमाने पर दावे, निर्माण, विवादित चौकियों के सैन्यीकरण या उन्हें उलझाने के लिए जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा कि ये व्यक्ति अब अमेरिका में अस्वीकार्य होंगे और उनके परिवार के नजदीकी सदस्य भी इन वीजा प्रतिबंध के दायरे में आ सकते हैं.
इसके साथ ही वाणिज्य विभाग ने प्रतिबंधित कंपनियों की सूची में पीआरसी (पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना) के स्वामित्व वाले 24 उपक्रमों को शामिल किया है, जिसमें चीन संचार निर्माण कंपनी (सीसीसीसी) की कई सहायक कंपनियां भी शामिल हैं.
पोम्पिओ ने कहा कि 2013 से ही चीन ने दक्षिण चीन सागर में अपने स्वामित्व वाले उपक्रमों का उपयोग कर 3,000 एकड़ से अधिक विवादित समुद्री क्षेत्र से खोदाई की और क्षेत्र को अस्थिर करते हुए उन पर अपना दावा ठोक दिया है. ऐसा करके उसने अपने पड़ोसियों के संप्रभु अधिकारों को रौंद डाला और पर्यावरण की इतनी तबाही का कारण बना जिसे कहा नहीं जा सकता.
दादागीरी वाला व्यवहार बंद करे चीन
सीसीसीसी के नेतृत्व में पीआरसी के दक्षिण चीन सागर की बाहरी चौकियों (आउट पोस्ट्स) पर विनाशकारी ड्रेजिंग हुई. सीसीसीसी बीजिंग की ओर से उन अग्रणी ठेकेदारों में से एक है जो, वैश्विक ‘वन बेल्ट वन रोड’ के निर्माण में लगे हैं. (अब जिसे बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव या बीआरआई) रणनीति के रूप में जाना जाता है. सीसीसीसी और उसकी सहायक कंपनियां दुनिया भर में भ्रष्टाचार, हिंसक वित्तपोषण, पर्यावरण के विनाश और अन्य गलत कामों में लगी हुई हैं.
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विशेष रूप से दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में चीन के क्षेत्रीय विवादों का उल्लेख करते हुए पोम्पिओ ने कहा कि बीजिंग को किसी भी हाल में सीसीसीसी और सरकार के स्वामित्व वाले अन्य उपक्रमों को विस्तारवादी एजेंडा लागू करने के लिए हथियार के रूप में उपयोग करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि अमेरिका तब तक कार्रवाई करेगा जब तक हम यह नहीं देख लेते कि दक्षिण चीन सागर में बीजिंग ने दादागीरी वाला अपना व्यवहार बंद नहीं कर दिया है. इसके साथ ही हम अपने सहयोगियों एवं साझेदारों के साथ इस तरह के अस्थिर करने वाली गतिविधियों के विरोध में खड़ा रहना जारी रखेंगे.
दक्षिण चीन सागर में शासक जैसा रुख अख्तिया
पोम्पिओ का बयान ऐसे समय में आया है जब बीजिंग दक्षिण चीन सागर में शासक जैसा रुख अख्तियार किए हुए है और क्षेत्र के कई देशों के साथ सीमा विवाद में संलिप्त है.
यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और चीन इस साल पहले लद्दाख क्षेत्र में सीमा पर लड़ चुके हैं, जिसके परिणामस्वरूप पिछले 45 साल में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पहली बार सैनिक हताहत हुए हैं और अभी जारी तनाव से पूरी दुनिया चिंतित है. पिछले माह चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की नौसेना ने दक्षिण चीन सागर में जल और थल दोनों में होने वाले हमले की गतिविधियों के साथ नौसैनिक अभ्यास शुरू किया.
पारासेल द्वीप के पास चीन की ताजा गतिविधियों के विरोध में अमेरिका ने तीन परमाणु ऊर्जा से संचालित विमानवाहक पोत दक्षिण चीन सागर में तैनात कर दिए.