वॉशिंगटन :अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्वाड समूह के तहत अमेरिका और भारत के बीच सहयोग बढ़ने का स्वागत किया है. जिसमें क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभुता और अंतरराष्ट्रीय कानून के संबंध में एक स्वतंत्र खुले और समावेशी हिंद प्रशांत क्षेत्र में उनके साझा दृष्टिकोण को देखते हुए बहुपक्षीय क्षेत्र में सहयोग शामिल है.
हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर मोदी बाइडेन की बातचीत
व्हाइट हाउस में बाइडेन और मोदी के बीच पहली आमने-सामने की द्विपक्षीय बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र और उसके बाहर साझा हितों को बढ़ावा देने पर सहमति व्यक्त की. क्वाड सुरक्षा वार्ता में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं.
द्विपक्षीय बैठक के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि मोदी और बाइडेन ने एक स्पष्ट दृष्टि की पुष्टि की जो अमेरिका-भारत संबंधों को आगे बढ़ाएगी. इसमें एक रणनीतिक साझेदारी का निर्माण और आसियान और क्वाड सदस्यों सहित क्षेत्रीय समूहों के साथ मिलकर काम करना, हिंद-प्रशांत क्षेत्र और उससे आगे साझा हितों को बढ़ावा देना शामिल है.
आसियान को इस क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक माना जाता है और भारत के साथ ही अमेरिका, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देश इसके संवाद भागीदार हैं. आसियान के 10 सदस्य देशों में इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपीन, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कंबोडिया शामिल हैं. भारत, अमेरिका और कई अन्य विश्व शक्तियां संसाधन संपन्न हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते सैन्य दखल की पृष्ठभूमि में एक स्वतंत्र, खुले और संपन्न क्षेत्र सुनिश्चित करने की आवश्यकता के बारे में बात कर रही है.
चीन विवादित दक्षिण चीन सागर के अधिकतर क्षेत्र पर अपना दावा करता है हालांकि ताइवान, फिलीपीन, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम सभी इसके कुछ हिस्सों पर दावा करते हैं. बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान बनाए हैं. पूर्वी चीन सागर में चीन का जापान के साथ भी क्षेत्रीय विवाद है. दोनों नेताओं ने एक व्यापार और निवेश साझेदारी विकसित करने के लिए भी उत्सुकता जताई है. जो दोनों देशों में कामकाजी परिवारों के लिए समृद्धि बढ़ाए और साथ ही दोनों नेताओं ने कोविड-19 महामारी और अन्य स्वास्थ्य चुनौतियों के खिलाफ लड़ाई को समाप्त करने पर जोर दिया है.