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कैपिटोल बिल्डिंग पहले भी बन चुका है हिंसक घटनाओं का गवाह

अमेरिका के संसद भवन परिसर में निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों की हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई है. इसे अमेरिका के लोकतांत्रिक इतिहास में काला दिन बताया जा रहा है. हालांकि, इससे पहले भी अमेरिकी संसद भवन 'कैपिटोल बिल्डिंग' हिंसा का गवाह बन चुका है. विस्तार से पढ़ें..

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कैपिटोल बिल्डिंग हिंसा

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Published : Jan 7, 2021, 8:10 PM IST

वॉशिंगटन : अमेरिकी संसद भवन 'कैपिटोल बिल्डिंग' के 220 साल के इतिहास में बुधवार जैसी घटना पहले कभी नहीं हुई, जब निर्वतमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हजारों समर्थक भवन में घुस आए और संवैधानिक दायित्वों के निर्वाह में बाधा पहुंचाने की हरसंभव कोशिश की. अमेरिका के लोकतांत्रिक इतिहास में इसे काला दिन बताया जा रहा है.

बहरहाल, यह पहला मौका नहीं है, जब कैपिटोल भवन हिंसा का साक्षी बना. 1814 में भी यह इसी तरह की हिंसा का साक्षी बना था. तब इस इमारत में काम-काज की शुरुआत के सिर्फ 14 साल ही साल हुए थे. युद्ध में ब्रितानी बलों ने इमारत को जला कर बर्बाद करने की कोशिश की थी.

ब्रितानी आक्रमणकारियों ने पहले इमारत को लूटा और फिर इसके दक्षिणी और उत्तरी हिस्से में आग लगा दी. इस आग में संसद का पुस्तकालय जल गया. लेकिन कुदरत की मेहरबानी से अचानक यहां आंधी-पानी शुरू हो गया और यह इमारत तबाह होने से बच गई.

तब से अब तक काफी कुछ हो चुका है और कई घटनाओं ने हाउस चैम्बर के मंच पर लिखे 'संघ, न्याय, सहिष्णुता, आजादी, अमन' जैसे बेहतरीन शब्दों के मायने का मजाक बना दिया है.

इस इमारत पर कई बार बम से भी हमला हुआ. कई बार गोलीबारी हुई. एक बार तो एक सांसद ने दूसरे सांसद की लगभग हत्या ही कर दी थी. 1950 में पोर्टो रिको के चार राष्ट्रवादियों ने द्वीप का झंडा लहराया था और 'पोर्टो रिको की आजादी' के नारे लगाते हुए सदन की दर्शक दीर्घा से ताबड़-तोड़ 30 गोलियां चलाई थीं. इसमें पांच सांसद जख्मी हुए थे. उनमें से एक गंभीर रूप से घायल हुआ था.

पोर्टो रिको के इन राष्ट्रवादियों को जब गिरफ्तार किया गया तो उनकी नेता लोलिता लेबरॉन ने चिल्लाकर कहा, 'मैं यहां किसी की हत्या करने नहीं आई हूं, मैं यहां पोर्टो रिको के लिए मरने आई हूं.'

वहीं, इस घटना से पहले 1915 में जर्मनी के एक व्यक्ति ने सीनेट के स्वागत कक्ष में डायनामाइट की तीन छड़ियां लगा दी थीं. मध्यरात्रि से पहले उनमें विस्फोट भी हुआ. तब कोई आसपास नहीं था.

पढ़ें-इतिहास में काले धब्बे की तरह देखी जाएगी कैपिटोल पर हमले की घटना

चरम वामपंथी संगठन 'वेदर अंडरग्राउंड' ने लाओस में अमेरिका की बमबारी का विरोध करने के लिए यहां 1971 में विस्फोट किए. वहीं, 'मई 19 कम्युनिस्ट मुवमेंट' ने 1983 में ग्रेनेडा पर अमेरिकी आक्रमण के विरोध में सीनेट में विस्फोट किया था.

दोनों घटनाओं में किसी व्यक्ति की मौत नहीं हुई, लेकिन हजारों डॉलर का नुकसान हुआ तथा सुरक्षा मानक कड़े हुए.

वहीं, 1998 में यहां मानसिक रूप से बीमार एक व्यक्ति ने जांच चौकी पर गोलीबारी की, जिसमें दो अधिकारियों की मौत हो गई. उनमें से एक अधिकारी बंदूकधारी को जख्मी करने में कामयाब रहा था और बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया गया.

इस घटना का निशान अब भी यहां लगी पूर्व उप राष्ट्रपति जॉन सी कालहाउन की प्रतिमा पर देखा जा सकता है. प्रतिमा पर गोली का एक निशान है.

इसके अलावा 1835 में इस इमारत के बाहर राष्ट्रपति एंड्रयू जैक्सन पर एक व्यक्ति ने पिस्तौल चलाने की कोशिश की थी, लेकिन पिस्तौल नहीं चल पाई और जैक्सन उसे दबोचने में सफल रहे.

एक अन्य घटना में 1856 में सांसद प्रेस्टन ब्रुक्स ने सीनेटर चार्ल्स समर पर डंडे से हमला कर दिया, क्योंकि सीनेटर ने अपने भाषण में दास प्रथा की आलोचना की थी. समर को इतनी बुरी तरह से पीटा गया था कि वह अस्वस्थता के चलते तीन साल तक संसद नहीं आ सके.

सदन से ब्रुक्स को बर्खास्त नहीं किया गया, लेकिन उन्होंने खुद ही इस्तीफा दे दिया. जल्द ही वह फिर निर्वाचित हो गए.

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