वॉशिंगटन: पाकिस्तान के एक पूर्व राजनयिक ने कहा कि शांति समझौते से ज्यादा पाकिस्तान और तालिबान की रुचि अफगानिस्तान से अंतरराष्ट्रीय बलों की वापसी में है और साथ ही चेतावनी दी कि दोहा में चल रही मौजूदा शांति वार्ता विफलता की तरफ बढ़ रही है.
अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने सोमवार को कहा मैं बातचीत के नतीजों को लेकर बहुत आशान्वित नहीं हूं. अमेरिका ने सारी प्रमुख रियायतें सामने रख दी हैं. तालिबान जानता है कि अमेरिका अफगानिस्तान से निकलना चाहता है. वो इसे देख सकते हैं इसलिए विदेशी बलों की वापसी और उसके बाद यथास्थिति को लेकर बातचीत कर रहे है. जब वह अफगानिस्तान पर उसके इस्लामी अमीर के तौर पर शासन करेंगे.
ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स की अंतरराष्ट्रीय संबंध एवं रक्षा समिति के समक्ष डिजिटल रूप से बयान देते हुए हक्कानी ने कहा कि यह अफगानिस्तान के बाकी लोगों को मंजूर नहीं होगा. तालिबान के साथ अमेरिका की बातचीत की तुलना वियतनाम युद्ध के बाद पेरिस शांति वार्ता से करते हुए उन्होंने कहा कि हेनरी किसिंगर ने कहा था कि वह अमेरिकी सैनिकों की वापसी और दक्षिण वियतनाम में अमेरिका के समर्थन वाली सरकार को गिराए जाने के बीच ठीक-ठाक अंतराल चाहते हैं.