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वाशिंगटन में प्रदर्शनकारियों को अपने घर पनाह देकर हीरो बने राहुल

46 साल के अफ्रीकी-अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड की मौत पर देशव्यापी अशांति के बीच एक भारतीय-अमेरिकी राहुल दुबे ने अपने घर में बड़ी संख्या में लोगों को पनाह दी. कुछ लोगों ने उनके कमरे में तो कुछ लोगों ने उनके बाथटब में आराम किया. पढ़े पूरी खबर...

Indian-American hailed as hero after he opens his home for protesters
राहुल दुबे ने दी प्रदर्शनकारियों को पनाह

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Published : Jun 3, 2020, 3:33 PM IST

वॉशिंगटन :अमेरिकी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार एक भारतीय-अमेरिकी राहुल दुबे ने जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल 70 से अधिक लोगों को अपने घर में पनाह दी. उन्होंने अजनबियों को पुलिस के चंगुल से बचाया और उनके हीरो बन गए.

आपको बता दें कि मिनियापोलिस में पिछले सप्ताह 46 साल के अफ्रीकी-अमेरिकी फ्लॉयड की मौत से अमेरिका के इतिहास में सबसे बड़ी नागरिक अशांति पैदा हुई है. वॉशिंगटन डीसी में रहने वाले राहुल दुबे ने अपने घर में बड़ी संख्या में लोगों को पनाह दी. इस दौरान कुछ सोफे पर, कोई कमरे में तो किसी ने बॉथटब में आराम किया.

राहुल ने बताया, 'मेरे घर पर लगभग 75 लोग हैं. कुछ को सोफे पर जगह मिल गई है. यहां एक परिवार से मां और बेटी है, जिन्हें मैंने अपने बेटे का कमरा दे दिया है ताकि वे वहां आराम कर सकें.

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राहुल दुबे ने मंगलवार को एक इंटरव्यू में एस्क्वायर पत्रिका को बताया कि वे एक-दूसरे का समर्थन कर रहे हैं.

सोमवार के विरोध प्रदर्शन के अगले दिन दुबे प्रमुख समाचार मीडिया आउटलेट्स में दिखे, जिसमें एक रक्षक के रूप में उनका स्वागत किया गया. अजनबियों को शरण देने के बाद उन्होंने इसके बारे में ट्वीट करना शुरू कर दिया था.

'ब्लैक लाइव्स मैटर' कार्यकर्ता का ट्वीट
एक 'ब्लैक लाइव्स मैटर' कार्यकर्ता ने ट्विटर पर लिखा, 'उन्होंने इसे शांतिपूर्ण लड़ाई नहीं छोड़ने और शांत रखने के बारे में एक प्रेरणादायक भाषण के साथ समाप्त किया है. धन्यवाद, राहुल.'

प्रदर्शनकारी एलिसन लेन का ट्वीट
प्रदर्शनकारी एलिसन लेन ने ट्वीट कर कहा,' पुलिस द्वारा काली मिर्च छिड़कने और खटखटाने के बाद मैं डीसी के घर पर हूं. इस घर में लगभग 100 लोग रहते हैं, जो कि पुलिस से घिरा हुआ है. इस गली के सभी पड़ोसियों ने अपने दरवाजे खोल दिए और प्रदर्शनकारियों को भड़का रहे हैं. पुलिस ने हमें इस गली में घेर लिया और हमें नीचे गिरा दिया.'

मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था : राहुल
एक समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में दुबे ने बताया कि यह लगभग 8:30 बजे की बात है. वह बाहर बैठे थे उन्होंने देखा कि पुलिस ने 15 सेंट और स्वान सेंट पर एक ब्रिगेड रखी है. उन्होंने बताया कि मंगलवार सुबह 6 बजे कर्फ्यू खत्म होने के बाद प्रदर्शनकारियों ने उनका घर छोड़ दिया.

राहुल ने कहा, 'मेरे ख्याल से मेरे पास दूसरा कोई रास्ता नहीं था. भीड़ तूफान की तरह दौड़ती हुई आई. हमें दरवाजा खुला रखा था एक-एक कर सभी को अंदर करते गए.'

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एक और प्रदर्शनकारी मेका ने बजफीड को बताया कि वह दर्जनों अन्य प्रदर्शनकारियों के साथ स्वान स्ट्रीट पर राहुल दुबे के घर में भाग गया. महानगर पुलिस विभाग के अधिकारियों की गिरफ्तारी से बचने वह राहुल के घर पर आठ घंटे रहा.

दुबे ने एक अन्य चैनल को बताया कि उनके पास दरवाजा खोलने और ज्यादातर युवा प्रदर्शनकारियों को शरण देने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था. कोई प्रदर्शनकारियों पर मिर्च छिड़क रहा था तो कोई उन्हें पीट रहा था. प्रदर्शनकारियों ने बताया कि पुलिस ने पांच-छह बार उन्हें बाहर निकालने की कोशिश भी की.

उन्होंने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि मेरा 13 साल का बेटा मुझे देखकर मेरे जैसा ही शानदार होगा.' एक अन्य मीडिया के लिए लिखते हुए दुबे ने कहा कि उनके पिता जब 19 साल के थे, तब अपनी जेब में सिर्फ आठ डॉलर लेकर अमेरिका आए थे.

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राहुल ने बताया, 'अच्छा हुआ, उनका 13 साल का बेटा दोस्तों और परिवार के साथ डेलावेयर में है. वह कल वापस आ रहा है. लेकिन वह चाहते थे कि काश, वह भी इन लोगों को देखने घर पर होता. जो मेरे घर पर सुरक्षित हैं. यहां उन्हें सब करने का अधिकार था.'

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