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अफगानिस्तान तभी सफल होगा जब आतंकवाद 'डूरंड रेखा' के पार न जाए : भारत - अफगानिस्तान तभी सफल होगा

भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि डूरंड रेखा अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच 2640 किमी लंबी सीमा रेखा है. आतंकियों को सुरक्षित पनाहगाह उपलब्ध कराने वालों को जिम्मेदार ठहराया जाए और ऐसी ताकतों के खिलाफ सुरक्षा परिषद स्पष्ट रूप से बोले. शांति प्रक्रिया और हिंसा एक साथ जारी नहीं रह सकते.

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संयुक्त राष्ट्र

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Published : Nov 21, 2020, 5:37 PM IST

संयुक्त राष्ट्र : भारत ने परोक्ष रूप से पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए संयुक्त राष्ट्र से कहा है कि अफगानिस्तान तभी सफल हो सकता है, जब 'डूरंड रेखा' के पार से अब और आतंकवादी गतिविधियों का संचालन नहीं हो.

भारत ने कहा कि आतंकवादियों को पनाह देने वालों की जवाबदेही तय होनी चाहिए और सुरक्षा परिषद को ऐसी ताकतों के खिलाफ स्पष्ट रूप से बोलना चाहिए. डूरंड रेखा अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच 2,640 किलोमीटर लंबी सीमा है.

समग्र संघर्ष विराम का आह्वान
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने शुक्रवार को कहा कि हमारा विचार है कि शांति प्रक्रिया और हिंसा साथ में नहीं चल सकते और हम तत्काल समग्र संघर्ष विराम का आह्वान करते हैं. अफगानिस्तान में दीर्घकालिक शांति के लिए हमें डूरंड रेखा के पार से संचालित आतंकवादियों की सुरक्षित पनाहगाहों को खत्म करना होगा.

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एरिया फॉर्मूला बैठक
अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया को समर्थन देने में सुरक्षा परिषद की भूमिका के विषय पर आयोजित एरिया फॉर्मूला बैठक में उन्होंने कहा कि अलकायदा/दाएश प्रतिबंध समिति के तहत 'एनालिटिकल सपोर्ट ऐंड सैंक्शन्स मॉनिटरिंग टीम' की रिपोर्ट में यह रेखांकित किया गया है कि अफगानिस्तान में विदेश लड़ाके मौजूद हैं.

'आतंकवादियों की आपूर्ति श्रृंखला का खात्मा जरूरी'
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में हिंसा को खत्म करने के लिए आतंकवादियों की आपूर्ति श्रृंखला को तोड़ना होगा. तिरुमूर्ति ने कहा कि समय आ गया है कि सुरक्षा परिषद हिंसा और आतंकवादी ताकतों के साथ-साथ कृत्यों के खिलाफ स्पष्ट रूप से बोले. साथ ही आतंकवादी ठिकानों और उनकी सुरक्षित पनाहों के खिलाफ कार्रवाई करें.

'खतरा पहुंचाने वाले आतंकियों को कोई पनाह न दे'
उन्होंने किसी देश का नाम लिए बगैर कहा कि अफगानिस्तान तभी सफल हो सकता है, जब डूरंड रेखा के पार से आतंकवादी गतिविधियों का संचालन नहीं हो. अफगानिस्तान के भविष्य को आकार देने में आतंकवाद और हिंसा की कोई भूमिका नहीं हो सकती. यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि अफगानिस्तान या क्षेत्र के किसी अन्य देश को खतरा पहुंचाने वाले आतंकवादियों को कोई पनाह नहीं दे.

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'गंभीर स्थिति में है अफगानिस्तान'
तिरुमूर्ति ने कहा कि आज अफगानिस्तान गंभीर स्थिति में है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासतौर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के लिए सभी संबंधित पक्षों को सही संदेश भेजना महत्वपूर्ण है.

'तीन अरब डॉलर की सहायता के लिए प्रतिबद्ध'
भारतीय राजदूत ने इस बात पर भी जोर दिया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय पिछले दो दशकों में मिले लाभों को गंवा नहीं सकता, क्योंकि अब तक हुई प्रगति बहुत ही मेहनत से अर्जित की गयी है. उन्होंने कहा कि भारत 2001 से अफगानिस्तान में विकास, पुनर्निर्माण और क्षमता निर्माण के लिए तीन अरब डॉलर की सहायता के लिए प्रतिबद्ध है.

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