वॉशिंगटन :फाउची ने अन्य देशों से भी अपील की है कि वे भारत की मदद के लिए केवल सामग्री ही नहीं बल्कि कर्मी भी मुहैया कराएं. वाशिंगटन स्थित संवाददाता को डॉ. फाउची द्वारा दिए गए साक्षात्कार के अंश इस प्रकार हैं.
प्रश्न: भारत में इस समय हालात को लेकर आपका आकलन क्या है?
फाउची :यह साफ है कि भारत में हालात अत्यंत गंभीर हैं. मेरा कहने का मतलब है कि वहां संक्रमण की दर बहुत अधिक है. जब लोग इतनी अधिक संख्या में संक्रमित हो रहे हों, हर किसी की पर्याप्त देखभाल न हो पा रही हो, अस्पतालों में बिस्तरों, ऑक्सीजन और अन्य चिकित्सा सामान की कमी हो तो यह बेहद निराशाजनक स्थिति बन जाती है. इसे देखते हुए हमें लगता है कि पूरी दुनिया को हरंसभव तरीके से मदद करनी चाहिए. भारत स्वयं भी ऐसे कदम उठा सकता है, जिनसे इस अत्यंत अप्रत्याशित स्थिति से निपटा जा सकता है.
प्रश्न: तो अब दो प्रश्न हैं. पहला यह कि दुनिया इस समय कैसे भारत की मदद कर सकती है और दूसरा प्रश्न यह है कि भारत को इस स्थिति से युद्ध स्तर पर निपटने के लिए क्या करना चाहिए?
फाउची :मुझे लगता है कि दुनिया के अन्य देश सामग्री एवं कर्मी मुहैया कराके भारत की मदद कर सकते हैं लेकिन उन्हें निश्चित ही ऐसी सामग्री मुहैया करानी चाहिए जिसकी भारत को इस स्थिति से निपटने के लिए आवश्यकता है. जैसे कि अमेरिका 1000 ऑक्सीजन सिलेंडरों की प्रारंभिक आपूर्ति के साथ ऑक्सीजन मुहैया करा रहा है.
वह ऑक्सीजन सांद्रक एवं ऑक्सीजन का उत्पादन करने वाली इकाइयां भी उपलब्ध करा रहा है. अमेरिका भारत को निजी सुरक्षा उपकरण भी मुहैया करा रहा है. वह भारत को उन चीजों की भी आपूर्ति कर रहा रहा है जो उसे टीकों का स्वयं उत्पादन करने के लिए चाहिए. अमेरिका त्वरित जांच किट भी भेज रहा है. हम लाखों की संख्या में ये सामग्रियां भेज रहे हैं.
हम रेमडेसिविर दवा भी भेज रहे है. हम टीकाकरण के लिए महामारी विज्ञान निगरानी के क्षेत्र में हमारे सीडीसी विशेषज्ञों एवं भारत के विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. इस समय अन्य देशों में भी आपात स्थिति है. भारत संक्रमण के कारण इस समय अत्यधिक दबाव में है तो ऐसे में दुनिया के अन्य देशों को अमेरिका की तरह उसकी मदद करनी चाहिए. मैं दूसरा प्रश्न भूल गया.
प्रश्न : भारत को इससे निपटने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?
फाउची : हां आप जानते हैं कि मैंने कुछ दिन पहले भी एक अन्य संस्थान के साथ बातचीत में इसका जिक्र किया था. इसलिए मैं आपके लिए इसे दोहरा रहा हूं. मेरा मतलब है कि कुछ चीजें तत्काल की जा सकती हैं. कुछ कदम मध्यम अवधि और कुछ दीर्घ अवधि के लिए उठाए जा सकते हैं.