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अफगानिस्तान में हर दिन बिगड़ रही स्थिति से खुद को दूर रख रहा है अमेरिका

अमेरिकी सैन्य नेतृत्व जितना सोचा होगा उससे भी कहीं अधिक तेजी से अफगानिस्तान सरकार की सेना युद्धग्रस्त देश में तालिबान के सामने पस्त हो रही है. लेकिन व्हाइट हाउस, पेंटागन या अमेरिकी जनता के बीच इसे रोकने का उत्साह कम ही नजर आ रहा है और अब शायद कुछ करने के लिए बहुत देर भी हो चुकी है.

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Published : Aug 12, 2021, 7:55 PM IST

वॉशिंगटन : अमेरिकी सैन्य नेतृत्व जितना सोचा होगा उससे भी कहीं अधिक तेजी से अफगानिस्तान सरकार की सेना युद्धग्रस्त देश में तालिबान के सामने पस्त हो रही है. लेकिन व्हाइट हाउस, पेंटागन या अमेरिकी जनता के बीच इसे रोकने का उत्साह कम ही नजर आ रहा है और अब शायद कुछ करने के लिए बहुत देर भी हो चुकी है.

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की पूर्ण वापसी की घोषणा किए जाने के बाद से युद्धग्रस्त देश में हर रोज हालात खराब होते जा रहे हैं. बाइडेन ने स्पष्ट कर दिया है कि पिछले वसंत में किए गए निर्णय को पलटने का उनका कोई इरादा नहीं है, जबकि इसके परिणाम तालिबान के कब्जे की ओर इशारा करते हैं.

अफगानिस्तान से अधिकतर अमेरिकी सैनिक वापस लौट आए हैं और तालिबान ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है, लेकिन अमेरिका उसे रोकने की कोई कोशिश नहीं कर रहा है.

अफगनिस्तान में 1996 से 9/11 (11 सितंबर 2001 को अमेरिका पर हुए भीषण आतंकी हमले) के हमलों तक शासन करने वाले तालिबान ने बुधवार को तीन और प्रांतीय राजधानियों तथा बृहस्पतिवार को एक और प्रांतीय राजधानी पर कब्जा कर लिया, जिससे देश के लगभग दो-तिहाई हिस्से पर उसका प्रभावी नियंत्रण हो गया है. विद्रोहियों के पास कोई हवाई बल नहीं है और उनकी संख्या अमेरिका द्वारा प्रशिक्षित अफगान रक्षा बलों से कम है, लेकिन फिर भी उन्होंने आश्चर्यजनक गति से क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है.

पेंटागन के मुख्य प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि अफगानिस्तान के पास अब भी खुद को अंतिम हार से बचाने का समय है.

किर्बी ने पत्रकारों से कहा, 'काबुल के पतन सहित कोई भी संभावित परिणाम अपरिहार्य नहीं होना चाहिए. ऐसा नहीं होना चाहिए. यह वास्तव में इस बात पर निर्भर करता है कि इसे बदलने के लिए अफगानिस्तान किस तरह का राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व जुटा सकता है.'

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बाइडेन ने भी एक दिन पहले पत्रकारों से कहा था कि अमेरिकी सैनिकों ने पिछले 20 वर्षों में अफगानिस्तान की सहायता के लिए वह सब कुछ किया है जो वे कर सकते थे.

उन्होंने कहा था, 'उन्हें (अफगान लोगों) अपने लिए, अपने देश के लिए लड़ना होगा.'

अमेरिका सीमित हवाई हमलों के साथ अफगान सेना का समर्थन कर रहा है, लेकिन इससे अब तक कोई रणनीतिक बदलाव देखने को नहीं मिला है. 31 अगस्त को अमेरिका के युद्ध में अपनी भूमिका को औपचारिक रूप से समाप्त करने के साथ ही उसकी तरफ से फिलहाल किए जा रहे सीमित हवाई हमलों पर भी विराम लग सकता है. यह भी हो सकता है कि बाइडेन हवाई हमले हमले जारी रखें, लेकिन युद्ध समाप्त करने के उनके कड़े रुख को देखते हुए इसकी संभावना दिखाई नहीं देती.

वाशिंगटन के एक रक्षा अधिकारी ने कहा कि तालिबान के तेजी से आगे बढ़ने के बीच बिलकुल हाल में किए गए एक सैन्य आकलन में कहा गया है कि काबुल सितंबर तक विद्रोहियों के चंगुल में आ सकता है और कुछ ही महीनों में पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो जाएगा.

(एपी)

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