मुंबई :पंचायतें भारतीय लोकतंत्र की नींव में से एक हैं और इस पर जोर देने के लिए, हर साल 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाया जाता है. यह संविधान (73वें संशोधन) अधिनियम, 1992 के माध्यम से पंचायती राज के संस्थागतकरण के साथ आम लोगों को सत्ता के विकेंद्रीकरण को दर्शाता है, जो उस दिन से लागू हुआ था. ऐसे में भारतीय सिनेमा ने अक्सर ग्रामीण राजनीति को पर्दे पर चित्रित किया है और कई बार सफल भी हुआ है. राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस की अवसर पर आइए उन फिल्मों और सीरीज पर एक नजर डालें, जिन्होंने हमारे दिलों पर राज किया और हमें ग्रामीण पंचायतों की जमीनी हकीकत के बारे में अवेयर किया.
'स्वदेस'
आशुतोष गोवारिकर के निर्देशन में बनी 'स्वदेस' ग्रामीण परिदृश्य में बसी खूबसूरत कहानी को बयां करती है. शाहरुख खान फिल्म की लीड रोल में हैं, जो अपनी अभिभावक कावेरी अम्मा का पता लगाने के लिए नासा से लौटते हैं, यह समझने के बाद कि देश को उसकी कितनी जरूरत है, अपनी मातृभूमि में वापस रहने का फैसला करते हैं. जाति व्यवस्था से लेकर ग्रामीण भारत की समस्याओं तक यह फिल्म सभी को कवर करती है. यह फिल्म हमें महसूस कराती है कि हमारा देश दुनिया का नंबर 1 देश बनाने की क्षमता रखता है.
'न्यूटन'
फिल्म आपको एक खूबसूरत यात्रा पर ले जाती है कि ग्रामीण स्तर पर चुनाव कराना कितना कठिन है. पंकज त्रिपाठी और राजकुमार राव की मुख्य भूमिकाओं वाली फिल्म ने ग्रामीण इलाकों में चुनावों की प्रकृति पर एक मजबूत संदेश दिखाया है. फिल्म हमें राजनीति में रिश्वतखोरी की जड़ों पर विचार करने के लिए प्रेरित करती है.
'पंचायत'
वेब सीरीज 'पंचायत' ने हमें देश के ग्रामीण इलाकों में रहने के तरीके के बारे में हंसने, रोने और सोचने के पल दिए हैं. कहानी जीतू के बारे में है जो एक एमबीए उम्मीदवार अपनी प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहा है, जबकि वह मध्य प्रदेश के एक जिले के पंचायत कार्यालय में सचिव के रूप में कार्य करता है. जिस तरह से जितेंद्र कुमार (जीतू) अपने साथी सहयोगियों और गांव के सरपंच से जुड़ते हैं, यह देखने में मजेदार है, क्योंकि यह पंचायत की कार्यवाही की जमीनी हकीकत को भी सामने लाता है.