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नोएडा: सरकारी अधिकारियों के नाम पर धोखाधड़ी करने के मामले में 2 गिरफ्तार

नोएडा की फेस थर्ड थाना पुलिस ने सेक्टर 62 में छापा मारकर 2 लोगों को गिरफ्तार किया और धोखाधड़ी का भंडाफोड़ किया है. पुलिस ने दोनों आरोपियों के पास से एक कार और एक मोबाइल भी बरामद किया है. वहीं, इनके अन्य साथियों की तलाश में पुलिस जुटी हुई है.

Noida Crime News, धोखाधड़ी का मामला
नोएडा में धोखाधड़ी करने के मामले में 2 गिरफ्तार

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Published : Aug 7, 2021, 10:48 PM IST

नोएडा:अगर आपसे कोई सरकारी विभाग में अधिकारियों के पास गाड़ी चलवाने के लिए कह रहा है और आपसे इन्वेस्ट करने के साथ ही एग्रीमेंट करने की बात कर रहा है तो सावधान हो जाइए, क्योंकि इस झांसे में आकर आप ठगी के शिकार हो सकते हैं. ऐसे ही एक गैंग का खुलासा नोएडा की थाना फेस थर्ड पुलिस ने किया है. इसमें फर्जी यात्रा कार सर्विसेज और ई बाइक नाम से कंपनी खोलकर लोगों को ठगने का काम किया जा रहा था.

एक शिकायत के आधार पर पुलिस ने सेक्टर 62 में छापा मारकर 2 लोगों को गिरफ्तार किया और धोखाधड़ी का भंडाफोड़ किया है. मामले में पुलिस ने मूल रूप से बागपत के रहने वाले दीपक चौधरी और उसके साथी विपिन तोमर पुत्र को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने दोनों आरोपियों के पास से एक कार और एक मोबाइल भी बरामद किया है. वहीं, इनके अन्य साथियों की तलाश में पुलिस जुटी हुई है.

नोएडा में धोखाधड़ी करने के मामले में 2 गिरफ्तार

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पुलिस ने यह कार्रवाई शुक्रवार को एक पीड़िता की ओर से फेस-3 थाने पर तहरीर दी गई थी. पीड़िता ने आरोपी दीपक, एसके मलिक (दीपक के ससुर), पुष्पा (दीपक की माता), रूपी (दीपक की पत्नी), वासु (दीपक का चचेरा भाई) और कोमल पर पारिवारिक संबंध बनाकर फर्जी तरीके से कूटरचित दस्तावेज तैयार कर उसका अवैध नाजायज लाभ कमाने का आरोप लगाया है. पीड़िता ने कार लगवाने के नाम पर धोखाधड़ी कर फर्जी तरीके से विभिन्न तिथियों में करीब 2 करोड़ 65 लाख रुपये हड़प लेना बताया. साथ ही पैसे मांगने पर गाली-गलौज कर जान से मारने की धमकी दिया जाना भी बताया. पुलिस ने पीड़िता की तहरीर के आधार पर आईपीसी की धारा 420, 406, 467, 468, 471, 504 और 506 के तहत मुकदमा दर्ज कर आरोपियों की तलाश की और उन्हें गिरफ्तार कर लिया.

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एडिशनल डीसीपी सेंट्रल जोन अंकुर अग्रवाल ने बताया कि आरोपियों ने फर्जी कंपनी खोलकर लोगों को विश्वास में लेकर पैसा इन्वेस्ट कराने का काम किया जा रहा था. इसमें लोगों को आश्वासन दिया जाता था कि गाड़ियां खरीदकर सरकार के माध्यम से अधिकारियों के परिवहन के रूप में लगाई जाएंगी. उससे होने वाली आमदनी गाड़ी मालिक को दी जाएगी.

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