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नोएडा में चोरी की 17 गाड़ियों के साथ तीन खिलाड़ी गिरफ्तार

नोएडा थाना सेक्टर 58 पुलिस ने एक ऐसे गैंग का खुलासा किया है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गाड़ियों की सप्लाई करने का काम करते थे. इनके पास से पुलिस ने 17 गाड़ियां बरामद की हैं. इस मामले में पुलिस ने नोएडा सेक्टर 62 के पास से तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. इस गैंग का मास्टरमाइंड नेशनल एथलीट व गोला फेंक का खिलाड़ी है.

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17 गाड़ियों के साथ तीन खिलाड़ियों को किया गिरफ्तार

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Published : Jul 25, 2021, 10:12 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा : नोएडा सेक्टर 58 पुलिस ने चोरी की लग्जरी कार बेचने वाले गिरोह के तीन बदमाशों को गिरफ्तार किया है. तीनों आरोपी राष्ट्रीय खिलाड़ी हैं. आरोपियों के कब्जे से पुलिस ने 17 लग्जरी कार, चार मोबाइल और अन्य सामान बरामद किया है. पुलिस ने सेक्टर 62 के पास से तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. वे गाड़ी को म्यांमार, भूटान सहित अन्य देशों में बेचते थे.

नोएडा के एंटी ऑटो थेफ्ट टीम और थाना सेक्टर 58 पुलिस ने संयुक्त रूप अभियान चलाकर तीनों अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपी की पहचान रोहतक के अमित हिसार के अजमेर सिंह और भिवानी के संदीप के रूप में की गई है. अमित एथलीट और गोला फेंक का खिलाड़ी रहा है. उसकी पत्नी भी राष्ट्रीय स्तर की एथलीट है. दूसरा आरोपी अजमेर यादव रेसलिंग का खिलाड़ी रहा है. संदीप भी एथलीट और गोला फेंक का राष्ट्रीय खिलाड़ी रहा है. इनके पास से एक डायरी भी बरामद हुई है, जिसमें गाड़ियों का विवरण अंकित है.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गाड़ियों की सप्लाई करने वाला गिरोह
एडिशनल डीसीपी नोएडा रणविजय सिंह ने बताया कि अभियुक्तों ने पूछताछ में बताया कि हम लोग दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के चोरों से संपर्क में हैं. उन्होंने बताया कि इनमें मास्टरमाइंड अमित का दिल्ली-एनसीआर के चोरों से अच्छा संपर्क है. वह पहले भी गिरफ्तार हो चुका है. उसने चंडीगढ़ और रोहतक में काफी संख्या में लग्जरी कार बरामद करवाई थीं और जेल गया था. वह नोएडा सेक्टर-20 थाना क्षेत्र से स्कार्पियो चोरी होने के मामले में भी जेल गया था.

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जेल से आते ही आरोपी अपने साथी संदीप सिंह और अजमेर सिंह यादव के साथ मिलकर पुनः चोरी की गाड़ियों का कारोबार करना शुरू कर दिया. पकड़े गए आरोपी अजमेर सिंह का गैराज भिवानी हरियाणा में है, जहां पर चोरों से खरीदी गई कारों के इंजन नंबर और चेसिस नंबर बदलने का काम मोटे पैसे लेकर किया जाता था. आरोपी संदीप सिंह के संबंध इंश्योरेंस कंपनियों के कर्मचारियों से थे. वह कंपनियों के सर्वेयर के साथ मिलकर पूर्णता क्षतिग्रस्त गाड़ियों की जानकारी ले लेता था. इसके बाद गिरोह के सदस्य मांग पर उसी मॉडल की गाड़ी चोरी करवाने के लिए चोरों से संपर्क करते थे.

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इसके बाद आरोपी बीमा कंपनी से पूर्णत: क्षतिग्रस्त गाड़ियों को कम दामों में खरीदकर कटवाकर कबाड़ियों को बेच देते थे. मगर उस गाड़ी की आरसी अपने पास रख लेते थे. इसके बाद स्क्रैप गाड़ियों के इंजन नंबर, रजिस्टेशन नंबर और चैसिस नंबर को चोरी की गाड़ी में लगाकर बेच देते थे. पूछताछ में यह बात भी सामने आई कि नागालैंड के गिरोहों द्वारा गाड़ियों को म्यांमार और भूटान में बेचा जाता था. एनसीआर या देश के अन्य क्षेत्रों से चुराई अधिकांश गाड़ियां नागालैंड के गिरोहों द्वारा खरीदी जाती थीं.

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