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नोएडा: जिनसे होती थी शादियों में रौनक, कोरोना ने उन्हें भी बना दिया कर्जदार! व्यापार ठप - noida news

ईटीवी भारत की टीम ने जब एक बैंड बाजा पार्टी से बात की तो उनका कहना है कि पिछले 6 महीने से एक भी ग्राहक नहीं आया. जिसके चलते धंधा चलाना बड़ा ही मुश्किल हो गया है. दुकान का किराया से लेकर कर्मचारियों की तनख्वाह देना भी एक बड़ी समस्या बनकर सामने खड़ी है.

noida band baja business affected in corona time
6 महीने से नही बजा बैंड बाजा

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Published : Sep 23, 2020, 4:04 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा:दूसरों की खुशियों में धुन बिखेर कर चार चांद लगाने वाले आज 6 महीने से हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं. हम बात कर रहे हैं खुशियों के मौके पर बैंड बाजा बजाने वालों की. कोरोना और लॉकडाउन ने उनके धंधे को पूरी तरह बंद करके रख दिया है. पिछले 6 महीने से एक भी बुकिंग नहीं हुई जिसके चलते कर्मचारियों को तनख्वाह देना और खुद का खर्चा निकालना भी एक बड़ी समस्या बनकर सामने आ गई है.

बैंड बाजा का कारोबार ठप

6 महीने से नहीं बजे बैंड और बाजा

ईटीवी भारत की टीम ने जब एक बैंड बाजा पार्टी से बात की तो उनका कहना है कि पिछले 6 महीने से एक भी ग्राहक नहीं आया. जिसके चलते धंधा चलाना बड़ा ही मुश्किल हो गया है. दुकान का किराया से लेकर कर्मचारियों की तनख्वाह देना भी एक बड़ी समस्या बनकर सामने खड़ी है. प्रशासन द्वारा कोरोना महामारी को देखते हुए 100 से अधिक किसी भी पार्टी में जमा होने पर रोक लगा रखी है, जिसमें बैंड बाजा पार्टी शामिल नहीं है. जिसके चलते लोग कार्यक्रम कर जरूर रहे हैं पर बैंड बाजा पार्टी को नहीं बुला रहे. जिसके चलते इनके धंधे पर काफी प्रभाव पड़ गया है. सुबह से शाम तक दुकान पर बैठकर ग्राहकों की बाट जोहते रहते हैं पर कोई ग्राहक नहीं आता है.



बैंड संचालक का कहना

शादी-ब्याह और पार्टी में बैंड बजाने का काम करने वाले संचालक कन्हैया से ईटीवी भारत की टीम ने बात किया तो उन्होंने बताया कि 6 महीने से कोरोना वायरस के चलते एक भी बुकिंग नहीं हुई है. जिसके चलते 40 कर्मचारियों से अब मात्र 10 कर्मचारी रह गए हैं. जिन्हें पैसा दे पाना एक बड़ी समस्या बन कर खड़ी हो गई है. सुबह-शाम दुकान खोल कर इस उम्मीद से बैठते हैं कि शायद कोई ग्राहक आ जाए, पर जो आते हैं वह सिर्फ रेट पता कर चले जाते हैं, पर बुकिंग नहीं करते हैं. इस उम्मीद में बैठे हुए हैं कि शायद आने वाले समय में कुछ बुकिंग मिल जाए. जिससे लोगों का कर्ज चुकाया जा सके.


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