नई दिल्ली/नोएडा:गौतम बुध नगर जिले को भले ही कमिश्नरी घोषित कर दिया गया हो, लेकिन पुलिस जैसे काम पहले करती थी आज भी वैसे ही करती है. और इसी का जीता जागता उदाहरण नोएडा से लेकर ग्रेटर नोएडा तक सभी पुलिस चौकियों में देखा जा सकता है. जहां सालों से दर्जनों की संख्या में दो पहिया से लेकर 3 पहिया के वाहन खड़े हैं.
बता दें कि गाड़ियां किसकी हैं और उसे कौन ले जाएगा इसका निस्तारण न ही चौकी के चौकी इंचार्ज ने किया और न ही संबंधित थाने के किसी थाना इंचार्ज ने और तो और उच्च अधिकारी भी इस ओर जरा भी ध्यान नहीं देते. किसी तरह खींचकर और चलाकर गाड़ियों को चौकी तक लाया गया लेकिन अब वो कबाड़ की स्थिती में हैं.
ज्यादातर पुलिस चौकियों पर खड़े हैं लावारिस वाहन. ये भी पढ़ें:दिल्ली में ढाबा कर्मचारी की पीट-पीटकर हत्या
नोएडा से लेकर ग्रेटर नोएडा तक देखा जाए तो गौतम बुध नगर कमिश्नरी में करीब 100 से अधिक पुलिस चौकीयां हैं. कुछ पूर्व में बनी तो कुछ कमिश्नरी बनने के बाद नई बनी हैं. परिस्थिति यह की सभी पुलिस चौकी पर आधा दर्जन से ज्यादा ऐसे वाहन खड़े हैं जिनका मालिक कौन है ये बताने वालो कोई नहीं है. कुछ गाड़ियों को देखकर लगता है कि किसी दुर्घटना में खड़ी की गई थी, तो कुछ को देखकर लगता है कि वह लावारिस हालत में मिली होगी जिन्हें खड़ा किया गया होगा, पर वह किसकी है और उसे कौन ले जाएगा या इन गाड़ियों का निस्तारण कौन करेगा. इस मामले में कोई भी जवाब देने को तैयार नहीं है.
वहीं कुछ पुलिस चौकी के चौकी इंचार्ज से इस संबंध में बात की गई तो कैमरे पर न बोल कर उन्होंने बताया कि पूर्व के चौकी इंचार्ज के द्वारा गाड़ियां खड़ी की गई हैं. हमारे सामने नहीं आई हैं. सालों से खड़ी है और इसके संबंध में जिन्होंने खड़ी किया है. वहीं बता सकते हैं. इस जवाब को सुनकर आप समझ सकते हैं कि पुलिस कितनी जिम्मेदार अपने कार्य के प्रति है.
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पुलिस चौकियों पर सड़ रही और कबाड़ के हाल में पहुंची गाड़ियों के संबंध में पुलिस सूत्रों से जब बात की गई तो उनका कहना है कि इन गाड़ियों का निस्तारण जिन चौकियों पर खड़ी है, उन चौकियों के चौकी इंचार्ज द्वारा थाने पर दाखिल करके मालखाना इंचार्ज के सुपुर्द करना चाहिए था. ताकि गाड़ियों के संबंध में थाने स्तर से जानकारी करके गाड़ियों के मालिक को सुपुर्द किया जा सके, पर गाड़ियों को थाने तक ले जाने और उसे मालखाना इंचार्ज को सुपुर्द करने की आज तक किसी ने जहमत तक नहीं उठाई. जिसके चलते चौकियों पर गाड़ियां कबाड़ की हालत में खड़ी हैं.