नई दिल्ली/गाजियाबाद:गाजियाबाद के अर्थला इलाके में रहने वाली दो बहनें उज़्मा और रुबीना काज़मी लंबे समय से समाज सेवा से जुड़ी हुई हैं. उज़्मा और रुबीना (Uzma and Rubina) महिलाओं को न सिर्फ महावारीके बारे में जागरूक कर रही हैं बल्कि उन्हें कम कीमत पर सस्ते सेनेटरी पैड (cheap sanitary pads) भी उपलब्ध करा रही हैं.
कैंप लगाकर महिलाओं को करती हैं जागरूक : आज भी कई इलाकों में शिक्षा और जागरूकता की कमी है. ऐसे इलाकों में उज़्मा और रुबीना ने युवतियों और महिलाओं को जागरूक करने के साथ ही महावारी के दौरान लापरवाही से होने वाली गंभीर बीमारी से बचाने का बीड़ा उठाया है. दोनों बहनों की ओर से विभिन्न इलाकों में कैंप लगाकर महिलाओं को माहवारी को लेकर जागरूक किया जाता है.
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान उज़्मा काज़मी ने बताया कि 2010 से वे समाज सेवा से जुड़ी हुई हैं. विभिन्न इलाकों में जाकर वे महिलाओं को महावारी के बारे में बताती हैं. साथ ही उन्हें समझाती हैं कि महावारी के दौरान कपड़ा इस्तेमाल करने से कई प्रकार की स्वास्थ संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. महावारी के दौरान महिलाओं को सेनेटरी पैड इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं. हाल ही में इजरायली एंबेसी की ओर से खुशी फाउंडेशन के सहयोग से प्रोजेक्ट सारस के तहत अर्थला में सेनेटरी पैड बनाने की मशीन लगाई गई है. जिस का संचालन रुबीना और उज़्मा को सौंपा गया है. मशीन की हर दिन 10 हजार सेनेटरी पैड तैयार करने की क्षमता है. उज़्मा बताती हैं कि इससे पहले जिस मशीन का प्रयोग करती थीं उससे सिर्फ 1000 सेनेटरी पैड तैयार हो पाते थे लेकिन इजराइली एंबेसी की ओर से लगाई गई मशीन से अब 10 हजार सेनेटरी पैड तैयार होंगे. 20 रुपये प्रति पैकेट (पैकेट में 6 सेनेटरी पैड) कीमत पर महिलाओं को उपलब्ध कराया जाएगा, जो कि बाजार में मिलने वाले सेनेटरी पैड की कीमत से तकरीबन 4 गुना कम है. अब बड़ी संख्या में महिलाओं तक सस्ता सेनेटरी पैड पहुंच सकेगा. बता दें, जहां एक तरफ महिलाओं को सस्ता सेनेटरी पैड मिल रहा है वहीं दूसरी तरफ सेनेटरी पैड बनाने की प्रक्रिया में शामिल तकरीबन इलाके की 8 से 10 महिलाओं को रोजगार मिल रहा है.
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क्या होता है मासिक धर्म :माहवारी, रजोधर्म, मेंस्ट्रुअल साइकिल या एमसी और पीरियड्स के नाम भी प्रचलित मासिक धर्म महिलाओं के शारीरिक विकास का मुख्य हिस्सा माना जाता है. महिलाओं के शरीर में हार्मोन में होने वाले बदलाव की वजह से गर्भाशय और प्रजनन अंगों के होने वाले रक्त युक्त स्त्राव को मासिक धर्म कहते हैं.
महिलाएं करती हैं कपड़े का इस्तेमाल :नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे (National Family Health Survey) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 15-24 साल की उम्र की तकरीबन 50 प्रतिशत महिलाएं अब भी मासिक धर्म के दिनों में सेनेटरी नेपकिन की जगह कपड़े का इस्तेमाल करती हैं. इसके पीछे जागरूकता की कमी होना एक मुख्य कारण है. विशेषज्ञ ने चिंता जताई है कि मासिक धर्म के दौरान अगर महिलाएं ऐसे कपड़े का बार-बार उपयोग करती हैं तो इससे कई प्रकार के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.
इन बातों का रखें खास ध्यान :-