नई दिल्ली/ गाजियाबाद: रक्षाबंधन का पर्व हिंदुस्तान में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. बहनें सात-समंदर पार से अपने भाई के लिए राखी भेजती हैं. इसके उलट गाजियाबाद के मुरादनगर में एक ऐसा गांव है जहां रक्षाबंधन का पर्व बिल्कुल भी नहीं मनाया जाता.
गांव में नहीं मनाया जाता रक्षाबंधन का त्योहार गाजियाबाद से सटे मुरादनगर के गांव सुराना सुठारी के छबड़िया गोत्र के लोग रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाते. गांव के लोगों का कहना है कि रक्षाबंधन वाले दिन मोहम्मद गौरी ने सोहनगढ़ (गांव सुराना) पर हमला कर लोगों का क़त्ल कर दिया था. इसी कारण छबड़िया गोत्र के लोग रक्षाबंधन के पर्व को अपशगुन मानते हैं.
गांव के लोगों का ऐसा भी मानना है कि यदि कोई बहन अपने भाई को राखी बांधती है तो उसके साथ बुरी घटना हो जाती है. गांव में बहनें इस त्योहार से ज्यादा भाई दूज का इंतजार करती हैं. भाई दूज को ही बहनें अपने भाई को राखी बांधती हैं.
अच्छे से मनाया जाता भाई दूज
गांव सुराना स्थित श्री बालाजी मंदिर के महंत धर्मपाल दास का कहना है कि रक्षाबंधन वाले दिन जयपाल सिंह यादव के यहां पुत्र पैदा हुआ था. परिवारवालों ने खुशी के साथ रक्षाबंधन पर्व मनाया था लेकिन कुछ दिन बाद ही जयपाल सिंह का पुत्र विकलांग हो गया और बाद में नदी में डूबने से उसकी मौत हो गई थी. धर्मपाल दास महंत ने बताया कि रक्षाबंधन पर्व की भरपाई पूरी करने के लिए भाई दूज का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.