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फीस मामला: गाजियाबाद में थाली बजाकर अभिभावकों ने दी भूख हड़ताल की चेतावनी

गाजियाबाद में अभिभावकों ने साफ तौर पर कहा है कि जब स्कूल में क्लास नहीं चल रही हैं, तो बच्चों की स्कूल फीस भी उसी हिसाब से तय की जानी चाहिए. जबकि स्कूल पूरी फीस मांग रहे हैं. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में आर्थिक तंगी से जूझ रहे अभिभावक पूरी फीस देने में सक्षम नहीं है. अभिभावकों ने भूख हड़ताल से पहले की चेतावनी को एक बार फिर प्रशासन तक पहुंचाया.

parents protest over fees
गाजियाबाद में अभिभावकों ने किया प्रोटेस्ट

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Published : Aug 27, 2020, 1:40 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: जिला मुख्यालय के पास अभिभावकों ने थाली बजाकर अपनी मांग यूपी सरकार तक पहुंचाने की कोशिश की है. अभिभावकों की मांग है कि लॉकडाउन के दौरान की स्कूल फीस को माफ किया जाए. इस मांग को अभिभावक लंबे समय से उठा रहे हैं. उनका कहना है कि मांग पूरी नहीं हुई, तो आगामी 2 तारीख से भूख हड़ताल पर बैठेंगे.

अभिभावकों ने दी भूख हड़ताल की चेतावनी

स्कूलों ने मांगी लॉकडाउन समय की पूरी फीस

अभिभावकों ने साफ तौर पर कहा है कि जब स्कूल में क्लास नहीं चल रही है तो बच्चों की स्कूल फीस भी उसी हिसाब से तय की जानी चाहिए. जबकि स्कूल पूरी फीस मांग रहे हैं. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में आर्थिक तंगी से जूझ रहे अभिभावक पूरी फीस देने में सक्षम नहीं है. थाली बजाकर अभिभावकों ने जमकर प्रदर्शन किया और भूख हड़ताल से पहले की चेतावनी को एक बार फिर प्रशासन तक पहुंचाया.



नो स्कूल नो फीस

अभिभावक कह रहे हैं कि लॉकडाउन के दौरान ना तो स्कूल चला, और ना ही ऑनलाइन क्लास हुई. ऐसे में 'नो स्कूल नो फीस' का नारा बुलंद कर रहे हैं. उस दौरान की फीस नहीं देना चाहते हैं. इस पर सरकार ने भी अब तक कोई ऑर्डर पास नहीं किया है. इसलिए सरकार तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं. क्योंकि स्कूलों की तरफ से तो अभिभावकों को कोई राहत नहीं दी जा रही है. सरकार से राहत की उम्मीद लगातार अभिभावक कर रहे हैं लेकिन जवाब नहीं मिलने से निराश हैं.



सिर्फ ट्यूशन फीस ले स्कूल

अभिभावकों की मांग है कि स्कूल सिर्फ ऑनलाइन क्लास की ट्यूशन फीस चार्ज करें. क्योंकि फिलहाल स्कूलों को अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को इस्तेमाल नहीं करना पड़ रहा है. ना ही स्कूलों को किसी तरह का मेंटेनेंस खर्च उठाना पड़ रहा है. तो फिर स्कूल की तरफ से क्यों पूरी फीस मांगी जा रही है. जब तक ऑनलाइन क्लास चल रही है. तब तक सरकार को इस पर निर्णय लेते हुए न्यूनतम फीस निर्धारित करने का आदेश देना चाहिए.

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