नई दिल्ली/गाजियाबादः एक बेहतर जीवन की आस में अपने गांव को छोड़कर प्रवासी मजदूर बड़े-बड़े महानगरों में आकर बसे. जिससे कि अपने और अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर सकें. महानगरों में प्रवासी मजदूरों ने छोटे-छोटे आशियाने बनाए, लेकिन लॉकडाउन ने इनसे इनका सब कुछ छीन लिया. आज प्रवासी मजदूरों के छोटे-छोटे आशियाने वीरान पड़े हैं.
गाजियाबाद के इंदिरापुरम स्थित कानावनी गांव में करीब 300 झुग्गियां है. जिनमें बिहार, उत्तर प्रदेश, बंगाल, झारखंड आदि प्रदेशों से आकर प्रवासी मजदूर रह रहे थे. जो कि यहां पर दिहाड़ी मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का पेट भरते थे, लेकिन लॉकडाउन प्रवासी मजदूरों पर संकट बनकर टूटा. लॉकडाउन ने प्रवासी मजदूरों से एक झटके में सब कुछ छीन लिया.
झुग्गियां होने लगी हैं खाली
कनावनी गांव की झुग्गी बस्ती में से करीब 50 फीसदी प्रवासी मजदूर अपने प्रदेशों को वापस लौट चुके हैं. यहां अधिकतर झुग्गियों में ताले लटके हुए हैं. कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन किया गया. लॉकडाउन के दौरान तमाम फैक्ट्रियां बंद हो गई. ऐसे में रोजगार प्रभावित हो गया. रोजगार ना मिलने के कारण प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौटने लगे.