नई दिल्ली/ गाजियाबाद: 14 अप्रैल से शुरू हुए मुस्लिम समुदाय के रमजान के महीने में 30 दिन रोजे होते हैं. इन 30 दिनों को 3 अशरों में बांटा गया है. पहले 10 दिनों के रोजे को पहला अशरा, दूसरे 10 से 20 दिन को दूसरा आशरा और 20 से 30 दिन को तीसरा अशरा कहा जाता है. इन तीनों अशरों की इबादतों से अलग-अलग सवाब (पुण्य) मिलता है. आखिर तीसरा अशरा कितना खास है. इसी को जानने के लिए ईटीवी भारत ने मौलाना से बातचीत की.
रमजान के आखिरी अशरे में करें खूब इबादत, मिलती है जहन्नुम की आग से आजादी : मौलाना
देश में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इसी बीच मुसलमानों का मुकद्दस महीना रमजान भी चल रहा है. रमजान का यह आखिरी अशरा है.
मुरादनगर की बाबे हरम मस्जिद के इमाम मोहम्मद हारुन कासमी ने बताया कि इन दिनों रमजान मुबारक के पाक महीने का आखिरी अशरा चल रहा है. जिसके बारे में हदीस में कहा जाता है कि हलाक और बर्बाद हो जाए. वह आदमी जिसने रमजान के महीने में खुदा की इबादत करके माफी मांगते हुए अपने गुनाहों की बख्शीश नहीं कराई.
ये भी पढ़ें :लॉकडाउन का पालन कर कुछ इस तरह रोजे का एहतमाम कर रहे दिल्ली के लोग
आखिरी अशरे में खुब इबादत करके मांगे माफी
इमाम ने बताया कि हदीसे पाक के अंदर कहा गया है कि रमजान का अखिरी अशरा जहन्नुम की आग से आजादी का है. इसीलिए अब तक जो दिन हमने गलतफहमी और खुदा की नाफरमानी में गुजारे हैं. इन आखिरी दिनों में हम अपने गुनाहों की माफी मांगते हुए कुरान शरीफ की तिलावत और तराबीह की नमाज अदा करते हुए खुदा की खूब इबादत करें. क्योंकि आजकल जैसा माहौल चल रहा है. पता नहीं अगली बार हमें यह मुबारक महीना नसीब होगा या नहीं.