नई दिल्ली/गाजियाबाद : रमजान का महीना हर मुसलमान के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, जिसमें 30 दिनों तक रोजे रखे जाते हैं. इस्लाम धर्म के मुताबिक पूरे रमजान को तीन हिस्सों में बांटा गया है, जो पहला, दूसरा और तीसरा अशरा कहलाता है. रमजान के तीनों अशरों और उनकी खासियत के बारे में बताते हुए मुफ्ती ने अपील की है कि रमजान के दिनों में सभी लोग देश-दुनिया से कोरोना महामारी के खात्मे की दुआएं करें.
पूरे रमजान को तीन हिस्सों में बांटा गया
इन दिनों मुस्लिम समुदाय का रमजान उल मुबारक का महीना चल रहा है. जिसमें 30 रोजे रखे जाते हैं. इन 30 रोजों को तीन भागों में बांटा गया है. पहले 10 दिन को पहला अशरा, 10 से 20 दिन को दूसरा अशरा, 20 से 30 दिन को तीसरा असरा कहां जाता है. इन तीनों अशरों की अलग-अलग खासियत होती है. जिसको जानने के लिए ईटीवी भारत ने मुफ्ती से खास बातचीत की.
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पहला अशरा-रहमतों का अशरा
ईटीवी भारत को मुफ्ती आबिद कासमी ने बताया कि रमजान के महीने के 3 अशरें होते हैं. जिसमें पहला अशरा, अशरा- ए- रहमत, दूसरा अशरा- ए- मगफिरत और तीसरा अशरा जहन्नुम से आजादी का होता है.
पहले अशरे में जिसको अशरा-ए-रहमत कहा जाता है. इसमें पहले रोजें से 10 वें रोजे तक खुदा की रहमतें अपने बंदों पर बरसती हैं. यह रहमतें उन बंदों पर बरसती हैं, जो रमजान के महीने को खुदा की इबादत में गुजारता है. इस मुबारक महीने की कद्र करता है.
दूसरा- मगफिरत का अशरा
दूसरा अशरा, अशरा-ए -मगफिरत को कहा जाता है. जब बंदा खुदा की इबादत करता है, तो वह खुदा की मगफिरत (माफी) के काबिल बन जाता है. इसलिए इस महीने में खुदा अपने बंदों के गुनाहों की माफी फरमाता है.
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तीसरा अशरा-जहन्नुम से बरी
तीसरा अशरा जहन्नुम से आजादी का है. इसमें खुदा अपने सभी बदों के गुनाहों की माफी देते हुए उनको जन्नत का परवाना अता फरमाते हैं. इसके साथ ही मुफ्ती का कहना है कि वह सभी से अपील करते हैं कि इस मुबारक महीने में सभी लोग दुआएं करें कि इस पूरी दुनिया से खास कर भारत से कोरोना महामारी को खुदा खत्म फरमाए.