नई दिल्ली/गाजियाबाद: लॉकडाउन के दौरान बच्चों के लिए चल रही ऑनलाइन क्लासेस की वजह से बच्चों में चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है. इसका कारण बढ़ता हुआ स्ट्रेस है. ये बात खुद मनोचिकित्सक बता रहे हैं. गाजियाबाद की जानी-मानी मनोचिकित्सक डॉक्टर हिमिका अग्रवाल का कहना है कि ऑनलाइन क्लासेस को लेकर टीचर्स भी असहज स्थिति में हैं. ऑनलाइन क्लासेस की वजह से मनोचिकित्सकों के पास आने वाले मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है.
ऑनलाइन क्लासेस के साथ कैसे रहें मानसिक तौर पर स्वस्थ, मनोचिकित्सक से जानिए - मनोचिकित्सक बच्चों के स्ट्रेस को लेकर राय
ऑनलाइन क्लासेस की वजह से टीचर्स पर मानसिक दबाव बढ़ रहा है. जो टीचर्स तकनीक को ठीक से नहीं जानते हैं. उन्हें इस बात का डर सताता है कि कहीं ऑनलाइन क्लासेज के दौरान बच्चे उनका मजाक ना उड़ाने लगे. वहीं, बच्चे जब लगातार स्क्रीन को देखते रहते हैं, तो उससे आंखों पर दबाव बढ़ता है.
इसलिए टीचर्स में बढ़ने वाला स्ट्रेस उनको मानसिक रूप से परेशान कर रहा है. वहीं बच्चे जब लगातार स्क्रीन को देखते रहते हैं, तो उससे आंखों पर दबाव बढ़ता है. नतीजा ये होता है कि बच्चों के व्यवहार पर उसका नकारात्मक असर पड़ रहा है.
क्या है समाधान
ऑनलाइन और वर्चुअल क्लासेस में सभी बच्चे एक प्लेटफार्म पर आमने-सामने तो आ जाते हैं, लेकिन उनका अकेलापन दूर नहीं हो रहा है. इसके लिए बच्चों के अभिभावकों को उनसे लगातार घर मे कनेक्ट रहना चाहिए.
बच्चों को ऑनलाइन क्लासेस वाले वक्त को छोड़कर, बाकी वक्त में कम से कम ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करना चाहिए. टीवी और लैपटॉप पर कम वक्त बिताएं. ऑनलाइन क्लासेज के बीच में बच्चों को रेस्ट दिया जाना चाहिए. बुजुर्ग टीचर्स का सहयोग उनके बच्चे कर सकते हैं, जो आजकल तकनीक को बखूबी जानते हैं.