नई दिल्ली/गाजियाबाद: राम मंदिर निर्माण के लिए बलिदान देने वालों की भी कमी नहीं है. गाजियाबाद के सीताराम गुप्ता और उनकी पत्नी प्रेमलता गुप्ता की साल 1987 में मौत हो गई थी. हादसा उस समय हुआ जब, ये कारसेवक दंपत्ति अयोध्या जा रहे थे. शाहजहांपुर में बस हादसे में दोनों का देहांत हो गया.
गाजियाबाद: 'माता पिता की आत्मा को नहीं मिली थी शांति', 30 साल तक घर में रहा अंधेरा
गाजियाबाद के सीताराम गुप्ता और उनकी पत्नी प्रेमलता गुप्ता की साल 1987 में मौत हो गई थी. हादसा उस समय हुआ जब ये कारसेवक दंपत्ति अयोध्या जा रहे थे. शाहजहांपुर में बस हादसे में दोनों का देहांत हो गया. परिवार का कहना है कि अब जाकर दोनों की आत्मा को शांति मिल पाएगी, क्योंकि दोनों ने जीवन में एक ही सपना देखा था कि राम मंदिर जल्द से जल्द बने. अब वो सपना पूरा होने जा रहा है.
परिवार का कहना है कि अब जाकर दोनों की आत्मा को शांति मिल पाएगी, क्योंकि दोनों ने जीवन में एक ही सपना देखा था कि राम मंदिर जल्द से जल्द बने. अब वो सपना पूरा होने जा रहा है. साल 1987 से लेकर अब तक इस परिवार ने दिवाली नहीं मनाई थी. मगर बीती रात इस घर में दिवाली से भी ज्यादा रोशनी सराबोर रही.
30 साल से ज्यादा रहा अंधेरा
गुप्ता परिवार में 30 साल से ज्यादा समय से दिवाली नहीं मनाई गई. आखिरकार राम मंदिर निर्माण भूमि पूजन के बाद ही अंधेरा छंटा है. परिवार का कहना है कि इस पूरे हफ्ते घर में दीप जलाएंगे. और अब आगामी दिवाली पर भी रोशनी से पूरा मोहल्ला सराबोर करेंगे.
उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य राज्य मंत्री अतुल गर्ग भी सीताराम गुप्ता और उनकी पत्नी प्रेमलता गुप्ता को श्रद्धांजलि देने पहुंचे. उनका कहना है कि कार सेवा के दौरान शहीद हुए लोगों को कभी नहीं भुलाया जा सकता है. उन्हीं की मेहनत की वजह से आंदोलन आगे बढ़ा और अब राम मंदिर बनने जा रहा है.