नई दिल्ली/गाजियाबाद: उत्तराखंड के रुड़की की रहने वाली 94 साल की बुजुर्ग कौरी देवी की दास्तान आंखों में आंसू ला देने वाली है. इनके लिए जब इनके अपने बेटे पराये हो गए, तो गैरों ने इनका साथ निभाया. मामला गाजियाबाद के कौशांबी इलाके का है. 94 साल की कौरी देवी शनिवार रात रोड पर यहां-वहां भटक रही थी.
सड़कों पर भटक रही थी बुजुर्ग वैशाली इलाके के रहने वाले कुछ लोगों ने देखा और इनकी मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया. अपनों की लापरवाही का शिकार हुई बुजुर्ग महिला को कोरोना काल होने के बावजूद गैर-लोग अपने घर ले गए. खाना खिलाकर परिवार तक पहुंचाने में भी मदद की.
तीन बेटे और तीन बेटियां हैं- मगर फिर भी अकेली कोरी देवी
शुरू में बात करने पर पता चला कि वो हिंदी नहीं बोल पाती हैं. लेकिन थोड़ी बहुत जानकारी से ये पता चला कि बुजुर्ग कौरी देवी के तीन बेटे और तीन बेटियां हैं. जो इन्हें संभाल नहीं सके और ये घर से गाजियाबाद चली आई.
गाजियाबाद में रहने वाले परिवार के लोगों का भी बस स्टैंड पर इंतजार किया. लेकिन वे भी नहीं आए. ऐसे में वैशाली इलाके के कुछ लोग मददगार साबित हुए और पुलिस को जानकारी दी. वैशाली में रहने वाले निवासियों ने कोरोना काल होने के बावजूद महिला को अपने घर में सहारा दिया. महिला के पास मिली डायरी में से परिवार से संपर्क भी किया.
गैरों की मदद से आए अपने
काफी कोशिश के बाद दिल्ली में रहने वाले बेटे आनंद प्रकाश तक जानकारी पहुंचाई गई. पुलिस ने भी दिल्ली में रहने वाले बेटे आनंद से बात की. आखिरकार लोगों के प्रयास की जीत हुई और बेटा आनंद प्रकाश दिल्ली से अपनी मां को लेने गाजियाबाद पहुंचा और मां को अपने घर ले गया.
बेटे आनंद प्रकाश का कहना है कि मां अपनी मर्जी से कई बार घर से जा चुकी हैं. लेकिन लोगों का सवाल ये था कि मां को संभालने की जिम्मेदारी बेटों की होती है. इस में लापरवाही नहीं होनी चाहिए. आखिरकार अपनों की लापरवाही का शिकार हुई कौरी देवी, गैरों की मदद से अपने बेटे तक पहुंच गयीं.