नई दिल्ली/गाजियाबाद: राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए गाजियाबाद के जिलाधिकारी अजय शंकर पांडे ने कलेक्ट्रेट परिसर में ब्लैक बॉक्स रखवाया था, ब्लैक बॉक्स रखने का उद्देश्य प्रशासन के अधिकारियों से जुड़ी शिकायतें प्राप्त करना था.
आवास विकास परिषद मामले में जांच के आदेश ब्लैक बॉक्स के माध्यम से प्राप्त शिकायत पर जिलाधिकारी ने संज्ञान लेते हुए आवास विकास परिषद के प्रमाण पत्रों में वसूली ना हो पाने के कारण की समीक्षा की. समीक्षा में पाया गया कि आवास विकास परिषद की 33 वसूली प्रमाण पत्र ऐसे पाए गए जिन पर ना तो बकायेदार का पूर्ण पता अंकित था और ना ही कौन सी संपत्ति के विरुद्ध वसूली की जानी है, इसका स्पष्ट उल्लेखन था.
कैसे होती है धांधली
आवास विकास परिषद द्वारा संबंधित बिल्डर को भूमि दिए जाने से पहले एक अनुबंध पत्र तैयार कराया जाता है. जिसमें उनकी शर्तें निर्धारित होती हैं. शर्तों के अनुसार बिल्डर की भूमि पर निर्माण किए जाने से पूर्व 30% की धनराशि आवास विकास परिषद को दी जाती है. उसके उपरांत नियम के अनुसार बिल्डर द्वारा किस्तों के माध्यम से धनराशि नियमित रूप से जमा की जाती है. लेकिन आवास विकास परिषद बिल्डरों से नियमित किस्तों को जमा नहीं कराते हैं. जिसके परिणाम स्वरूप बिल्डर शर्तों का उल्लंघन कर निर्माण कार्य करता रहता है और निर्माण कार्य पूरा हो जाता है. जबकि इस स्तर पर आवास विकास परिषद को निर्माण नहीं होने देना चाहिए.
आम लोग होते हैं परेशान
तत्पश्चात निर्माण पूरा होने पर बिल्डर लोगों को फंसाने भी लगता है क्योंकि बिना अथॉरिटी से कंप्लीशन सर्टिफिकेट पाए बिल्डर किसी के नाम रजिस्ट्री नहीं कर सकता. इस कारण लोगों से एडवांस पैसे लेकर भी लोगों के नाम रजिस्ट्री नहीं हो पाती है. इन सब मे राजस्व का तो नुकसान होता है और यूपीएसआईडीडी को भी पैसा नहीं मिलता तथा लोगों का भी पैसा फंस जाता है.
जिलाधिकारी ने उच्च स्तरीय जांच की मांग
जिलाधिकारी ने 33 प्रमाण पत्रों को संगृहीत कर शासन को पत्र भेजा है. जिसमें दोषी आवास विकास परिषद के अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने का अनुरोध करते हुए पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच करने का अनुरोध किया है.