नई दिल्ली/गाजियाबाद: राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद में CAA के समर्थन में देश के कई जगहों से साधु संत व विभिन्न संगठन के लोग पहुंचे. जिसके बाद CAA को लेकर तिरंगा यात्रा व संघ की तरफ से पद संचलन भी किया गया.
आपको बता दें कि इस धर्म संसद का आयोजन राष्ट्रीय सैनिक संस्था एवं सांस्कृतिक गौरव संस्थान ने किया. इस धर्म संसद में सुमेरुपीठ के शंकराचार्य भी उपस्थित रहे. साथ ही जनसंख्या नियंत्रण यात्रा के राष्ट्रीय संयोजक मेजर जनरल एस पी सिन्हा भी मौजूद रहे.
धर्म संसद में CAA कानून को लेकर केंद्र सरकार का समर्थन किया गया और कहा गया की देश भर में CAA को लेकर सकारत्मक माहौल बनाया जाये तथा जगह-जगह CAA के समर्थन में सभाएं और रैली की जाए. मेजर जनरल एसपी सिन्हा ने अपने वक्तव्य में कहा की जो लोग CAA के नाम पर विरोध व हिंसा कर रहें हैं, वो निश्चित रूप से देश से प्रेम नहीं करने वाले लोग हैं. जो लोग देश जला रहें है वो देशद्रोही हैं. सरकार को उनको पकड़ कर जेल में डाल देना चाहिए. आपको बता दें की CAA को लेकर भाजपा ने भी राज्यों में जनसभाएं कर समर्थन मांगा और साथ ही जनता को सूचित करने के लिए पर्चे भी बांटे. लेकिन वहीं विपक्षी दल इस बिल के विरोध में हैं.
क्या है CAA?
इस नागरिकता संशोधन कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से प्रताड़ित होकर आए हिंदू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बुद्ध धर्मावलंबियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी.
CAA को लेकर क्यों प्रदर्शन हो रहे हैं?
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर दो तरह के प्रदर्शन हो रहे हैं. पहला प्रदर्शन नॉर्थ ईस्ट में हो रहा है, जो इस बात को लेकर है कि इस एक्ट को लागू करने से असम में बाहर के लोग आकर बसेंगे, जिससे उनकी संस्कृति को खतरा है. वहीं नॉर्थ ईस्ट को छोड़ भारत के शेष हिस्से में इस बात को लेकर प्रदर्शन हो रहा है कि यह गैर-संवैधानिक है. प्रदर्शनकारियों के बीच अफवाह फैली है कि इस कानून से उनकी भारतीय नागरिकता छिन सकती है।
NRC के तहत कौन-कौन से डॉक्युमेंट्स वैलिड हैं?
ध्यान रहे कि सिर्फ असम में एनआरसी लिस्ट तैयार हुई है. सरकार पूरे देश में जो एनआरसी लाने की बात कर रही है, उसके प्रावधान अभी तय नहीं हुए हैं. यह एनआरसी लाने में अभी सरकार को लंबी दूरी तय करनी पडे़गी. उसे एनआरसी का मसौदा तैयार कर संसद के दोनों सदनों से पारित करवाना होगा. फिर राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद एनआरसी ऐक्ट अस्तित्व में आएगा. हालांकि, असम की एनआरसी लिस्ट में उन्हें ही जगह दी गई, जिन्होंने साबित कर दिया कि वो या उनके पूर्वज 24 मार्च 1971 से पहले भारत में आकर बस गए थे.