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रेप के मामले में कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, ट्रायल के सिर्फ एक महीने में दोषी को सुनाई गई कठोर सजा - क्षेत्राधिकारी स्वतंत्र सिंह

गाजियाबाद की अदालत ने रेप पीड़िता को रक्षाबंधन का बड़ा तोहफा दिया है. कोर्ट ने एक महीने के अंदर आरोपी को दोषी करार देते हुए 20 साल की सजा सुनाई है. पढ़िए पूरी रिपोर्ट.

दोषी को 20 साल की सजा
दोषी को 20 साल की सजा

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Published : Aug 11, 2022, 7:47 PM IST

Updated : Aug 11, 2022, 10:17 PM IST

नई दिल्ली/ गाजियाबाद:रक्षाबंधन पर गाजियाबाद कोर्ट ने 13 साल की मासूम के साथ हुए रेप के मामले में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. घटनाक्रम के सिर्फ चार महीने के भीतर ही आरोपी को दोषी करार देते हुए 20 साल की सजा सुनाई गई है. खास बात यह है कि सिर्फ एक महीने पहले ही केस ट्रायल पर पहुंचा था. यानी एक महीने के भीतर ही कोर्ट ने दरिंदे को उसके अंजाम तक पहुंचा दिया है. रक्षाबंधन के दिन आए इस फैसले ने एक बड़ी नजीर साबित की है. आमतौर पर इस तरह के संगीन मामलों में भी कई सालों तक पीड़ित परिवार इंसाफ के लिए चक्कर काटता रहता है. पीड़ित परिवार ने इस इंसाफ के बाद न्याय प्रणाली का धन्यवाद किया है. पुलिस ने भी इस मामले को इंसाफ तक पहुंचाने में काफी अहम भूमिका निभाई है. जिसके लिए पुलिस की भी सराहना हो रही है.

मामला गाजियाबाद के विजयनगर थाना इलाके का था. 22 अप्रैल को एक नाबालिग बच्ची के साथ रेप हुआ था. बच्ची की उम्र 13 वर्ष है. आरोपी रेप करके फरार हो गया था. पुलिस ने 24 घंटे के भीतर आरोपी को गिरफ्तार किया था. इसके बाद विवेचना चल रही थी. मामले में एससी एसटी एक्ट भी लगाया गया था. पीड़ित परिवार का रो-रो कर बुरा हाल था. गरीब परिवार के सामने चुनौती इस बात की थी कि वह इंसाफ की लंबी लड़ाई के लिए कैसे आगे बढ़ेगा. ऐसे में पुलिस अधिकारियों ने पीड़ित परिवार की परेशानी और व्यथा को समझा. अधिकारियों ने पीड़ित परिवार को आश्वस्त किया कि पीड़ित परिवार को जल्द से जल्द इंसाफ मिलेगा. इसके लिए तत्कालीन क्षेत्राधिकारी स्वतंत्र सिंह की निगरानी में जांच को आगे बढ़ाया गया.

दोषी को 20 साल की सजा

पुलिस ने इस मामले में आरोपी की डीएनए प्रोफाइलिंग करवाई. पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए हर मुमकिन प्रयास तेजी से किया गया. इसी डीएनए प्रोफाइलिंग के आधार पर केस आगे बढ़ा. इस मामले में नौ गवाहों की गवाही भी कोर्ट में हुई. विवेचना सिर्फ तीन महीने में पूरी कर दी गई. केस से संबंधित सभी तथ्यों, सबूतों और फॉरेंसिक रिपोर्ट को तैयार करके पुलिस ने वक्त पर कोर्ट में फाइल कर दिया. परिणाम सकारात्मक हुआ. केस का ट्रायल शुरू होने के कुल एक महीने के भीतर ही मामले में पीड़िता को न्याय मिला है. आरोपी को दोषी करार देते हुए कोर्ट ने एक महीने के भीतर ही 20 वर्ष की सश्रम सजा कोर्ट ने सुनाई है. इसके अलावा उस पर 25000 का जुर्माना भी लगाया गया है.

मामले में पुलिस क्षेत्राधिकारी स्वतंत्र सिंह का कहना है कि यूपी की हर बहन के लिए पुलिस भाई की तरह काम कर रही है. इस बहन को भी इंसाफ दिलाने के लिए पुलिस ने जल्द से जल्द सबूत एकत्रित करके आरोपी को काफी कम वक्त में सजा दिलाई है. आगे भी पुलिस की कोशिश है कि जो मामले लंबित चल रहे हैं उनमें भी पीड़ित बहनों को जल्द इंसाफ मिल पाए. गाजियाबाद की मुख्य पोक्सो कोर्ट ने यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. मामले में पब्लिक प्रॉसिक्यूटर हरीश कुमार का कहना है कि इस केस में 13 वर्ष की बच्ची के साथ दिलशाद और बिल्लू ने दरिंदगी की थी. आरोपी बिहार का रहने वाला है. पुलिस ने उसे घटना के बाद जल्द से जल्द गिरफ्तार किया और सिर्फ तीन महीने की विवेचना के बाद केस ट्रायल पर आ गया जिसमें एक महीने में ही बच्ची को इंसाफ मिल पाया है.

वकील ने भी कहा कि यह अपने आप में एक हिस्टोरिक मामला है. अगर इस तरह जल्दी से जल्दी पीड़ितों को इंसाफ मिलता रहेगा तो बहनों के खिलाफ अपराध खत्म हो सकेंगे. उन्होंने कहा कि इस मामले से एक नजीर साबित होगी. महिलाओं के साथ अपराध करने वाले दरिंदों के जहन में इस तरह के मामलों से खौफ पैदा होगा. वहीं, पीड़ित परिवार ने भी पुलिस और न्याय प्रणाली का धन्यवाद किया है.



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Last Updated : Aug 11, 2022, 10:17 PM IST

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