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स्पेशल: CDO की अनोखी पहल, विकास भवन में बेची जा रही इको फ्रेंडली राखी - इको फ्रेंडली राखी

गाजियाबाद विकास भवन में सीडीओ की अनोखी पहल से इन दिनों राखियां बेची जा रही हैं. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत ग्रामीण महिलाओं ने ये राखियां बनाई हैं.

rakhi being sold in ghaziabad vikas bhavan
विकास भवन में बेची जा रही राखी

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Published : Jul 29, 2020, 6:13 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: रक्षाबंधन का पवित्र त्योहार आने में अब चंद दिन बाकी है. ऐसे में राखियों से बाजार गुलजार होते हैं. इस बार बाजार के साथ-साथ गाजियाबाद विकास भवन भी राखियों से गुलजार हो रहा है. विकास भवन में राखियां सजी हुई हैं. जिनकी बिक्री की जा रही है. तमाम राखियों को दाल, चावल, गेहूं, गेंदे के फूल, मैक्रोनी, बाजरा आदि से बनाया गया है साथ ही तमाम राखियां हाथों से बनाई गई है.

विकास भवन में बेची जा रही राखी

11-40 रुपये है कीमत

जिला मुख्यालय स्थित विकास भवन में इन दिनों इको फ्रेंडली राखियां बेची जा रही है. ये राखियां जिला मिशन प्रबंधन इकाई के साथ रूडसेटी ने मिलकर महिलाओं के स्वयं सहायता समूह ग्रुप द्वारा बनवाईं हैं. इनकी कीमत भी ₹11 से ₹40 तक रखी गई है.


मुख्य विकास अधिकारी अस्मिता लाल ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत जनपद गाज़ियाबाद के स्वयं सहायता समूह द्वारा इको फ्रेंडली राखियां बनाई गई हैं. विकास भवन में स्टॉल लगाकर राखियों की बिक्री की जा रही है. सोशल मीडिया के माध्यम से भी इको फ्रेंडली राखियों का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. लोग इन राखियों को काफी पसंद कर रहे हैं.



जिला मिशन प्रबंधन इकाई के साथ रूडसेटी ने मिलकर स्वयं सहायता समूह ग्रुप द्वारा राखियां बनाई हैं. यह महिलाओं का वह समूह है जिसको प्रशासन की तरफ से काम दिया जाता है ताकि महिलाएं भी स्वयं अपनी जीविका चला सकें और आत्मनिर्भर बन सकें. इन राखियों को लोग खासा पसंद कर रहे हैं. जिस तरह राखियां टूट कर गिर जाती हैं उसी तरह अगर यह राखियां भी टूट कर कहीं गिरेगी तो एक नया पौधा भी उग सकता है.


गाजियाबाद की मुख्य विकास अधिकारी अस्मिता लाल की ओर से इको फ्रेंडली राखी बनाने की जो पहल की गई है. इससे एक तरफ पर्यावरण संरक्षण का संदेश जाता है तो दूसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्रों में रह रही महिलाओं को भी रोजगार मिला है. अस्मिता लाल द्वारा उठाया गया कदम आजकल चर्चा का विषय बना हुआ है. इससे पहले भी मुख्य विकास अधिकारी पर्यावरण संरक्षण को लेकर कई ऐसे कदम उठा चुकी हैं.

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