नई दिल्ली/सोनीपतःकृषि कानून के विरोध में दिल्ली हरियाणा की सीमाओं पर चल रहा प्रदर्शन जारी है. बॉर्डर पर हो रहे प्रदर्शन की वजह से सीमा पर वाहनों की रफ्तार थमी हुई है. किसान आंदोलन का असर नेशनल हाईवे 44 और एक्सप्रेस वे पर लगे टोल प्लाजा पर भी दिख रहा है. जहां वाहनों की कम आवाजाही के चलते टोल वसूली भी लाखों रुपये कम हो गई है.
टोल प्लाजा पर वाहनों की आवाजाही कम 50 प्रतिशत वाहन कम
नेशनल हाईवे 44 का मुरथल टोल प्लाजा पर 50 प्रतिशत तक वाहन कम हो गए हैं. जिसके चलते वहां टोल वसूली भी एक तिहाई तक कम हो गई है. एक सप्ताह तक कंपनी को कम टोल वसूली की मार झेलनी पड़ी, लेकिन अब एक सप्ताह से ज्यादा समय होने पर कम टोल वसूली के कारण जितना भी नुकसान हो रहा है, वो एनएचएआई को झेलना होगा. वहीं केएमपी का नुकसान एचएसआईआईडीसी को झेलना होगा.
50-70 लाख होती थी वसूली
जानकारी के मुताबिक नेशनल हाईवे 44 के मुरथल टोल प्लाजा से रोजाना करीब 60 से 70 हजार वाहन गुजरते थे और उससे 50 से 70 लाख रुपये की टोल वसूली होती थी. वहीं अब मुरथल टोल पर वसूली 15 लाख रुपये तक रह गई है. दिल्ली के संपर्क मार्ग भी कम हो रहे हैं, जिसके कारण रोजाना एक-तीन हजार तक वाहन लगातार कम हो रहे हैं. साथ ही पानीपत से रुट भी डाइवर्ट किए गए हैं. इसके अलावा किसानों के ट्रैक्टर से कोई भी वसूली नहीं की जाती.
लाखों रुपये का नुकसान
इस तरह ही केजीपी पर रोजाना करीब 50 हजार वाहन गुजरते थे, जो अब करीब 40 हजार तक हो गए हैं. इससे केजीपी पर 10 लाख रुपये तक कम टोल वसूली हो रही है. वहीं केएमपी पर 40 हजार की जगह केवल 30 हजार तक वाहन रह गए हैं और वहां भी 10 लाख रुपये तक की रोजाना टोल वसूली कम हो रही है.
सरकारी खजाने को नुकसान
एनएचएआई के टेक्निकल मैनेजर आनंद दहिया ने बताया कि सोनीपत के जिन तीन टोल प्लाजा पर किसान आंदोलन के कारण कम वसूली हो गई है. उनमें केजीपी से सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है, क्योंकि वो बीओटी प्रोजेक्ट के तहत चल रहा है, जिसपर एक्सप्रेस वे बनाने वाली कंपनी को एक नियमित अवधि के लिए टोल वसूली की अनुमति है. लेकिन नेशनल हाईवे और केएमपी से सरकारी खजाने को नुकसान होना शुरू हो गया है.