नई दिल्ली: 26 जून 2020 को महिला एवं बाल विकास विभाग ने निषेध निदेशालय के साथ मिलकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अंतरराष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस मनाया. विभाग ने नशा मुक्ति के बारे में चर्चा की. जिसमें महिला एवं बाल विकास विभाग सचिव सहित कई संस्थाओ और स्टेक होल्डर्स ने हिस्सा लिया.
कैबिनेट मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने इस मीटिंग की शुरुआत में ड्रग्स दुरुपयोग के मामलों को बारीकी से जांचने की आवश्यकता को सामने रखा और कहा कि यदि इसे जड़ से मिटाना है तो सभी संस्थाओं को साथ मिलकर काम करना होगा. उन्होंने बच्चों और युवाओं के बीच नशीली दवाओं के दुरुपयोग के बढ़ते कारणों को देखने पर भी जोर दिया. जो पुनर्सुधार केंद्रों में परामर्शदाताओं द्वारा किया जा सकता है.
राजेंद्र पाल गौतम ने दिए सुझाव
राजेंद्र पाल गौतम ने सभी विभागों, संस्थानों और स्टेक होल्डर्स को नशीली दवाओं के दुरुपयोग की समस्या को हल करने के लिए एक दूसरे के साथ समन्वय में काम करने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि ड्रग रिहैबिलिटेशन सेंटरों को सक्रिय रूप से सर्वेक्षण करना चाहिए. ताकि यह पता लगाया जा सके कि उनके केंद्रों में कितने लोगों का सफलतापूर्वक पुनर्वास किया गया था. इसे गुणात्मक रूप से मापा जाना चाहिए.
बनानी होगी कठोर नीति
निषेध निदेशालय के निदेशक एस.बी. शशांक ने प्रसिद्ध टीवी धारावाहिक अंधी गलियां का उदाहरण देते हुए कहा कि साल में सिर्फ एक बार जागरूकता कार्यक्रम करने से हमारे समाज में नशाखोरी की समस्या से निजात नहीं मिल पाएगी. हमें समन्वय में काम करने की और उन सभी अंतर्निहित कारणों पर भी गहन शोध करने की आवश्यकता है, जो मादक पदार्थों के सेवन की समस्या को बढ़ाते और उकसाते हैं. इस शोध के बाद ही, हम कोई ठोस नीति बना पाएंगे, जो इस समस्या को प्रभावी और कठोर तरीके से निजात दिला सकेगी.