हैदराबाद: आज के समय में कई ऐसे लोग हैं, जो कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं. किसी का होम लोन (Home Loan) चल रहा है, तो किसी की कार की ईएमआई जा रही है. कहीं कोई पर्सनल लोन (Personal Loan) चुका रहा है तो वहीं कोई मोटरसाइकिल की किश्त हर महीने निकाल रहा है. लेकिन कई बार लोग अपनी कमाई को ध्यान में न रखते हुए लोन लेते चले जाते हैं और कर्ज के पहाड़ के नीचे दब जाते हैं और सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस समस्या से निकलने का उनके पास कोई रास्ता भी नहीं होता है. उन लोगों के साथ ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि वे मिलने वाले हर लोन को स्वीकार कर (Unsolicited Loans Cast An Inescapable Trap) लेते हैं.
छोटी-छोटी कुर्बानियां देने के लिए रहें तैयार: कमाई के हिसाब से खर्च करने के मूल सिद्धांत की अनदेखी करना ही इन सभी परिहार्य समस्याओं का मूल कारण है. जो भी हो मौजूदा समय में चलन यही चल रहा है कि भविष्य की आय को आज ही खर्च कर दिया जाए. एक बार जब कोई वित्तीय योजना गड़बड़ा जाती है, तो फिर से पटरी पर आना बहुत मुश्किल होता है. कर्ज लेना आसान है, लेकिन उससे पहले हमें छोटी-छोटी कुर्बानियां देने के लिए तैयार हो जाना चाहिए. वेतन, लाभांश, ब्याज और अन्य स्रोतों से व्यय और आय के बीच संतुलन बनाना चाहिए.
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सरप्लस बढ़ाना पहली प्राथमिकता: इसके अलावा जरूरतों, इच्छाओं और लग्जरी में अंतर होना चाहिए. हमें अपनी इच्छाओं को स्थगित कर देना चाहिए. अपनी वित्तीय क्षमता से अधिक विलासिता के कारण कर्ज के जाल में फंस सकते हैं. ऋण लेने से पहले, पिछले ऋणों और प्रतिबद्धताओं की गहन जांच होनी चाहिए. 10 प्रतिशत से अधिक ब्याज वाले ऋण लंबी अवधि में एक बड़ा बोझ होते हैं. यदि आपके पास पहले से ही असहनीय ऋण हैं, तो आपको सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए. सरप्लस बढ़ाना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए, जिसका अर्थ है समय पर किश्तों का भुगतान करने की क्षमता हासिल करने के लिए खर्च को कम करना.