हैदराबाद: जब कोई कंपनी पहली बार शेयरों को आवंटित करके बाजार से धन उठाती है, तो इसे आईपीओ कहा जाता है. वहीं जब एक कंपनी लगातार समय के लिए शेयर जारी करती है, तो इसे फॉलो–ऑन सार्वजनिक पेशकश या (FPO) कहा जाता है. बता दें, एक कंपनी आईपीओ की प्रक्रिया से गुजरने के बाद एफपीओ का यूज करती है और अपने ज्यादातर शेयर जनता के लिए उपलब्ध कराने के लिए पूंजी जुटाने का निर्णय लेती है.
आईपीओ क्या होता है?
जब भी कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर्स आम जनता को बेचती है तो उसे प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव या इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO)कहते है. आईपीओ के तहत शेयर जारी करके एक प्राइवेट कंपनी को पब्लिक कंपनी में बदल दिया जाता है. IPO के जरिए कोई भी कंपनी जो अपना बिजनेस बढ़ाना चाह रही हो या फिर जिसे पैसे की तंगी होती है, पहली बार अपने शेयर्स को लांच कर पब्लिक से पैसे उठाती है. जिससे कंपनी को पैसा मिल जाता है और निवेशक उस कंपनी में शेयर होल्डर बन जाते हैं. मतलब कंपनी में वे हिस्सेदार बन जाते हैं.
कैसे आईपीओ को रिलीज किया जाता है?
किसी भी भी कंपनी का आईपीओ मार्केट में आता है तो सबसे पहले ड्राफ्ट रेड हियरिंग प्रोस्पेक्टस (DHRP) इश्यू करना होता है. इसे ऑफर दस्तावेज भी कहते हैं. इस ऑफर दस्तावेज में कंपनी से जुड़ी सारी जानकारी Securities and Exchange Board of India (SEBI) को देनी पड़ती है. और ये भी बताना पड़ता है कि IPO से जो पैसा आएगा उसका कंपनी क्या करेगी. सेबी के द्वारा ड्राफ्ट रेड हियरिंग प्रोस्पेक्टस को पहले रिव्यू किया जाता है उसके बाद यह सिद्ध करता है कि यहां सभी डिस्क्लोजर को बताया गया है या नहीं. उसके बाद कंपनी के आईपीओ का प्राइस बैंड तय होता है और फिर (SEBI)के अप्रूवल के बाद इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) को रिलीज कर दिया जाता है.