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International Saving Day 2023 : जानें भारत में क्यों एक दिन पहले मनाया जाता है विश्व बचत दिवस

world Saving Day : भविष्य व आपदा के समय आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए बचत आवश्यक है. बचत की परंपरा पौराणिक काल से चली आ रही है. इस परंपरा के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल विश्व सेविंग डे या अंतरराष्ट्रीय सेविंग दिवस मनाया जाता है. पढ़ें पूरी खबर..International Saving Day 2023, International Saving Day History, Filippo Ravizza.

International Saving Day 2023
विश्व सेविंग डे

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 30, 2023, 5:30 AM IST

हैदराबाद :एक आम व्यक्ति हो या संस्था या कोई सरकार सबों की आमदनी और खर्च बदलता रहता है. कुछ खर्चों का पूर्वानुमान संभव है. आपदा या किसी अन्य जोखिम के कारण आने वाले खर्चों का पूर्वानुमान संभव नहीं है. भविष्य के खर्चों और आपदा के समय अपने आर्थिक जरूरतों को बचत के माध्यम से पूरा किया जा सकता है. बेहतर वित्तीय प्रबंधन के माध्यम से मासिक/रोजना होने वाले आय का एक हिस्सा को अपनी सुविधानुसार बचत करना चाहिए. बचत छोटा या बड़ा किसी भी रूप में संभव है. इसी को ध्यान में रखकर हर साल 30 अक्टूर को अंतरराष्ट्रीय बचत दिवस मनाया जाता है.

भारत में एक दिन पहले मनाया जाता है विश्व बचत दिवस
The World Savings and Retail Banking Institute-WSBI (डब्लूएसबीआई) के अनुसार का विश्व बचत दिवस 31 अक्टूबर को मनाया जाता है. 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई थी. इसके बाद से भारत में विश्व बचत दिवस 30 अक्टूबर को मनाया जाता है.

विश्व बचत दिवस

विश्व बचत दिवस का इतिहास
अक्टूबर 1924 में इटली के शहर मिलान में पहला अंतरराष्ट्रीय सेविंग बैंक कांग्रेस का आयोजन किया गया था. इसका आयोजन सेविंग बैंकों की इंटरनेशल सोसाइटी की ओर से किया गया था. आयोजन के दौरान वक्ताओं ने बचत की जरूरत पर फोकस किया. इटली के प्रोफेसर Filippo Ravizza ने अंतिम दिन 31 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय सेविंग दिवस घोषित किया. इसके बाद से औपचारिक रूप से कुछ देशों में इसका आयोजन किया जाता था. इंटरनेट क्रांति के बाद वित्तीय संस्थाओं की ओर से निवेश को बढ़ाने के लिए हर साल अंतरराष्ट्रीय सेविंग दिवस या विश्व सेविंग दिवस मनाया जाता है.

सेविंग स्कीम पर ज्यादा लाभ के चक्कर में न पड़ें
समय के आधार पर सेविंग स्कीम मुख्य रूप से 3 प्रकार के होते हैं. पहला छोटी अवधि के लिए. दूसरा मध्यम अवधि के लिए और तीसरा लंबी अवधि के लिए. सबों का अपना फायदा और नुकसान है. इन सबों के लिए रिर्टन की दर अलग-अलग होता है. दूसरी ओर कई बचत योजनाएं हैं जो सीधे बाजार जोखिमों पर आधारित होता है. आम जनता से पैसा लेकर वित्तीय कंपनियां बाजार में निवेश करती हैं. वहां होने वाले उतार-चढ़ाव का असर निवेशकर्ताओं पर सीधे तौर पर पड़ता है. सभी बचत योजनाओं का निर्धारण व निगरानी भारतीय रिजर्व बैंक के हाथों में होता है. कई बार कई फर्जी वित्तीय संस्थाएं ज्यादा रिटर्न का लाभ दिखाकर निवेशकों से पैसा वसूलते हैं, लेकिन निवेशकर्ता को न तो मूलधन मिलता है न हीं उस पर रिटर्न मिल पाता है. सेविंग जरूर करें लेकिन ज्यादा लाभ के चक्कर में न पड़ने से बचें या कहें निवेश से पहले सत्यापन जरूर करें.

निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान

  1. वित्तीय क्षमता और जरूरतों को ध्यान में रखकर निवेश की योजना बनायें
  2. निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान
  3. निवेश के संबंध में वित्तीय जोखिम को पढ़ें
  4. निवेश से पहले रिटर्न के बारे में उचित सोर्स से पता करें
  5. निवेश के लिए वित्तीय संस्था चयन से पहले सत्यापन करें
  6. ऑन लाइन बैंकिग या निवेश हरबार बैंक के आधिकारिक पोर्टल/साइट पर करें
  7. बैंकिंग एप को बैंक की वेबसाइट से डाउनलोड करें
  8. किसी अनजान लिंक को क्लीक कर निवेश न करें
  9. किसी भी स्थिति में OTP/CCV/Password किसी को शेयर नहीं करें.

ये हैं मुख्य बचत योजनाएं

  1. फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit)
  2. आवर्ती जमा (Recurring Deposit-RD)
  3. किसान विकास पत्र (Kisan Vikas Patra-KVP)
  4. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond-SGB)
  5. अटल पेंशन योजना (Atal Pension Yojna-APY)
  6. सार्वजनिक भविष्य निधि (Public Provident Fund-PPF)
  7. कर्मचारी भविष्य निधि (Employee Provident Fund-EPF)
  8. सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Yojna-SSY)
  9. राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (National Saving Certificate-NSC)
  10. प्रधानमंत्री जन धन योजना (Pradhan Mantri Jan Dhan Yojana-PMJDY)
  11. वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (Senior Citizens Savings Scheme-SCSS)
  12. महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र (Mahila Samman Savings Certificate-MSSC)
  13. डाकघर मासिक आय योजना (Post Office Monthly Income Scheme-POMIS)

निवेश से पहले वित्तीय संस्थानों का जांच करें
ज्यादा लाभ के चक्कर में कई बार हमें मूल पूंजी तक गंवाना पड़ता है. जरूरी है कि निवेश से पहले अपने स्तर से सही तरीके से जांच-पड़ताल कर लें. इसके लिए निवेश से पहले स्वयं से कुछ सवाल कर उत्तर तलाश करें. निवेशक कौन है. सभी वित्तीय संस्थाओं से इतर कोई क्यों इतना ज्यादा रिटर्न दे रहा है. जहां निवेश कर रहे हैं, क्या वह आरबीआई से मान्यता प्राप्त है. संबंधित संस्था आरबीआई के मानकों को वित्तीय संस्था कितना पालन कर रहा है.

बैंक शिकायत नहीं सुने तो आरबीआई से करें शिकायत
आज के समय में निवेश के लिए ज्यादातर लोग ऑनलाइन माध्यम का सहारा लेते हैं. किसी कारण अगर ऑनलाइन बैंकिंग ट्रांजिक्शन या निवेश के दौरान अगर धोखाधरी के शिकार होते हैं तो इस संबंध में कानूनी कदम के साथ-साथ नियामकों को अविलबं सूचित करें. इसके बारे में अपने बैंक के शाखा में स्वयं जाकर, टाल फ्री नंबर या ईमेल के माध्यम से शिकायत करें. उनकी ओर से दिये गये निर्देशों का पालन करें. बैंक अगर समय से कोई कदम नहीं उठाये तो रिजर्व बैंक के आधिकारिक वेबसाइट rbi.org.in पर जाकर बैंकिंग लोकपाल से साक्ष्यों के साथ शिकायत करें.

साइबर फ्रॉड के शिकार होने पर ऑनलाइन भी करें शिकायत
किसी भी प्रकार के साइबर फ्रॉड के शिकार होने पर पुलिस में शिकायत जरूर करें. साथ-साथ जितना जल्द हो सके भारत सरकार के अधीन राष्ट्रीय साइबर रिपोर्टिंग पोर्टल पर cybercrime.gov.in शिकायत करें. इसके अलावा साइबर क्राइम हेल्पलान 1930 पर भी शिकायत जरूर करें. अगर पीड़ित समय पर शिकायत करते हैं तो संभव है कि आपका पैसा डूबने से बच सकता है और अपराधी की पहचान हो जाय.

महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र

  • इस स्कीम में महिलाएं/लड़कियां निवेश कर सकती हैं.
  • नाबालिग की स्थिति में उनके अभिभावक बच्ची के नाम पर निवेश कर सकते हैं.
  • एक हजार से 2 लाख तक की राशि अधितम 2 साल के लिए निवेश किया जा सकता है.
  • वर्तमान में निवेश पर सालाना 7.5 फीसदी रिटर्न का प्रावधान है.
  • निवेश अवधि 2 साल पूरा होने के बाद निवेशक को राशि का भुगतान किया जायेगा.
  • सामान्य स्थिति में महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र को नहीं निकाला जा सकता है.
  • एक साल की अवधि पूरा होने के बाद निवेश राशि का 40 फीसदी निकाला जा सकता है.
  • खाता धारक की मौत होने, खाता धारक के गंभीर रूप से बीमार होने की स्थिति में व अभिभावक की मौत की स्थिति में निवेशक या उनके उत्तराधिकारी पैसा निकाल सकती हैं.

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