नई दिल्ली : देश के चार प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों यानी कि पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और राजस्थान के लिए सरकार ने गेहूं खरीद नियमों में ढील दी है. बेमौसम बरसात की वजह से प्रभावित हुई गेहूं की फसल को देखते हुए सरकार ने ये फैसला लिया है. अब सरकारी एजेंसियां किसानों से उस गेहूं को भी खरीदेंगी जिनमें दाना अधिकतम 18 फीसदी तक सिकुड़ा हुआ है या टूटा हुआ है. इससे पहले मध्य प्रदेश के लिए भी गेहूं खरीद के नियमों में ढील दी गई थी.
आपको बता दें कि गेहूं खरीद को लेकर सरकार के अंदर चिंता दिख रही है. हालांकि जहां एक तरफ बताया जा रहा था कि गेहूं की उपज या पैदावर पिछले साल की तुलना में कम नहीं होगी. वहीं, दूसरी तरफ सरकार इस कोशिश में है कि जैसा भी गेहूं बाजार में आ रहा है उसे खरीदा जाएं. अब जो ताजे आकड़ें आ रहे हैं वो थोड़े से चौंकाने वाले है.
ताजा आकड़ों के अनुसार अब बाजार में जो गेहूं आ रहा है, जिसकी खरीद के लिए भारतीय खाद्य निगम (FCI) से कहा गया है उसमें मॉइश्चर या नमी की कॉन्टैक्ट 20 फीसदी है. यानी 20 फीसदी भीगा गेहूं एजेंसियों को खरीदना पड़ रहा है. साथ ही सरकार ने ये भी निर्देश दिया है कि 6 फीसदी तक टूटे या सूखे फसल की कीमत पर कोई कटोती नहीं की जाएगी.
बेमौसम बारिश, जो मार्च और अप्रैल में हुआ है. उससे 11 लाख हेक्टेयर इलाके में फसल पर असर पड़ा है. जिससे लगभग 1.82 लाख किसान प्रभावित हुए है. क्योंकि बेमौसम बारिश के कारण इन किसानों के फसल कटाई पर असर पड़ा और जो फसलें कटी उसकी क्लालिटी कम या बेहद खराब हो गई है. लेकिन एफसीआई को कहा गया है कि उस गेहूं को खरीदें. लेकिन एजेंसियों की दुविधा यहां यह है कि इस गेहूं का रख-रखाव और इस्तेमाल कैसे होगा, कहां बांटा जाएगा और कैसे. इसलिए एजेंसियां और FCI इस तरह की गेहूं खरीदने से परहेज करती हैं. क्योंकि इसका रख-रखाव और इस्तेमाल करना मुश्किल होता है.
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