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FD vs SIP : इंवेस्टमेंट की हाईवे है SIP रिस्क के साथ ज्यादा गेन, FD सर्विस रोड जैसी - FD

बढ़ती महंगाई के साथ लोगों की इच्छाएं बढ़ रही है मसलन बाहर घुमने जाना, अच्छा लाइफस्टाइल जीना और रिटायरमेंट की प्लानिंग करना आदि. इन इच्छाओं को पूरा करने के लिए लोगों में निवेश की आदत बन रही है. ऐसे में अगर कोई पहली बार निवेश करना चाहता है तो FD vs SIP में से कौन सा ऑप्शन बेहतर है, जानने के लिए ईटीवी भारत ने बात की मार्केट एक्सपर्ट और CA पवन जायसवाल से, पढ़ें पूरी खबर...

FD vs SIP
एफडी बनाम एसआईपी

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Published : May 7, 2023, 2:04 PM IST

Updated : May 7, 2023, 2:54 PM IST

नई दिल्ली : लोगों की कमाई का जरिया बिजनेस या नौकरी होती है. जिससे उन्हें मंथली अर्निंग होती है. इस पैसे को वह अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए खर्च करते है. इसके बाद जो पैसे बचते हैं उससे वह सेविंग करते हैं. कैपिटल क्रिएशन करते हैं. कैपिटल क्रिएशन का मतलब वर्तमान की जरूरतों को पूरा करते हुए बेहतर भविष्य के बारे में सोचना जैसे बच्चों की पढ़ाई, अपना घर खरीदन या बनाना, बच्चों की शादी, फैमिली हॉलिडे और रिटायरमेंट प्लान आदि शामिल है. ऐसे में सवाल उठता है कि सेविंग या कैपिटल क्रिएशन के लिए FD vs SIP में से कौन सा ऑप्शन बेहतर है. इस सवाल का जवाब जानने के लिए Etv Bharat ने बात की मार्केट एक्सपर्ट और CA पवन जायसवाल से.

FD और SIP काम कैसे करते हैं
पवन जायसवाल ने सबसे पहले समझया कि FD और SIP काम कैसे करते हैं. FD यानी फिक्सड डिपॉजिट, जो बैंक या पोस्ट ऑफिस कहीं भी करवा सकते हैं. कुछ कंपनिज के भी एफडी होते है, आप उसमें भी निवेश कर सकते हैं. जब कोई व्यक्ति बैंक में FD करता है तो बैंक उसी पैसे से कैपिटल क्रिएट करते हैं. उदाहरण से समझें- हमारे जमा पैसों को बैंक दूसरों को लोन देती है फिर उनसे इंटरेस्ट लेकर हमरे जमा पर बैंक हमें इंटरेस्ट देती है.

वहीं, SIP यानी सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान, Mutual Fund Houses द्वारा चलाया जाता है. जिसमें इंवेस्टर के ग्रुप होते हैं. जो आपके पैसे को लेते है और डिफरेंट कैटेगरी के शेयर में एक रेसियो के हिसाब से इंवेस्ट करते हैं. अब आते हैं सवाल पर की इंवेस्टमेंट के लिए दोनों में से कौन सा ऑप्शन बेहतर है.

FD और SIP किसमें इंवेस्ट करें
पवन जायसवाल ने एक उदाहरण से देकर समझाते हुए बताया कि अगर कोई व्यक्ति SIP में 15 साल के लिए प्रति माह 15,000 रुपए जमा करता है तो एक साल में 1,80,000 रुपये जमा होंगे (15000*12=1,80,000) और 15 साल में 27 लाख का निवेश होगा, लेकिन SIP Maturity पर मिलेगा 2.90 करोड़ रुपये. वहीं, FD पर उतने ही समयावधि और रकम जमा करने पर मैच्यूरिटि पीरियड पर 38 लाख रुपये मिलेंगे. FD or SIP मैच्यूरिटि पीरियड पर मिलने वाली रकम में अंतर आप खुद देख सकते हैं.

FD or SIP कितना सैफ और रिस्की है इस बारे में बात करते हुए पवन जायसवाल ने बताया एफडी और एसआईपी दोनों ही सैफ और रिस्की हैं. Example से समझे- आपने किसी बैंक में FD किया और कुछ समय बाद बैंक दिवालिया हो गया, ऐसी सिथित में आपके कुल जमा राशि में से सिर्फ 5 लाख रुपए मिल पाएंगे, बाकी के पैसे डूब जाएंगे. हालांकि ऐसी सिचुएशन बहुत कम आती है कि बैंक दिवालिया हो जाए. अगर संक्षेप में बात कहें तो जिनको रिस्क नहीं लेना वह FD का ऑप्शन चुनें. वहीं, रिस्क लेने की क्षमता व्यक्ति के इनकम पर निर्भर करती है. समान्यत कम इनकम वाले लोग रिस्क कम लेते हैं. वहीं, अधिक इनकम वाले लोगों में रिस्क लेने की क्षमता ज्यादा होती है.

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वहीं, SIP के रिस्क के बारे में बात करते हुए पवन जायसवाल ने बताया की SIP में दिवालिया होने जैसा रिस्क नहीं होता है क्योंकि Mutual Fund कंपनी के इंवेस्टर एक Ration के हिसाब से अपना पैसा अलग अलग इंवेस्ट करते है. उदाहरण से समझें- कोविड के समय हॉस्पिटैलिटी और टूरिज्म की मांग घाटी थी, जबकि फार्मस्यूटीकल और आईटी सेक्टर की डिमांड बढ़ी. अगल -अलग इंवेस्ट करने का फायदा ये हुआ कि अगर कोई इंडस्ट्री एक समय मे अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही है तो उसके नुकसान की भरपाई बेहतर प्रदर्शन कर रही कंपनी से किया जाता है.

FD or SIP किसमें टैक्स का फायदा
टैक्स का फायदा FD or SIP में से किसमें मिलता है इस बारे में बताते हुए पवन जायसवाल ने कहा FD में ब्याज टैक्सबल होता है. जबकि SIP में TDS कटना एसआईपी की प्रकार पर निर्भर करता है. यानी टैक्स के फायदे SIP मे FD की तुलना में ज्यादा है. हालांकि 5 साल के लिए एफडी करवाते हैं तो income tax रूल 80C के तहत आपको टैक्स में छूट मिलती है.

क्या FD रिइंवेस्ट कर सकते हैं
एक साल के लिए FD करके इंटरेस्ट के साथ पैसे उठाकर उसे फिर से FD कर सकते हैं और ज्यादा लाभ पा सकते हैं, ऐसे में लोग SIP क्यों करें. इस सवाल का जवाब देते हुए पवन जायसवाल ने कहा कि कोई एक साल के लिए FD करता है और मैच्यूरिटी पीरियड पूरा होने पर इंटरेस्ट के साथ पैसे उठा कर Reinvest कर सकता है. लेकिन इसमें ध्यान देने वाली बात ये की उस बढ़े हुए पैसे से व्यक्ति की इनकम New Tax Regim के तहत न आ जाए. वरना न्यू टैक्स रेजिम के तहत 7,27,700 रुपये से ज्यादा होने पर टैक्स भरना होगा वहीं, इनकम कम होने पर बैंक में 15-G के एक फॉर्म भरना होगा. जिसका मतलब होगा की बैंक आपके इंटरेस्ट पर टैक्स या TDS न काटे. वहीं, सीनियर सिटीजन के लिए 15-H फॉर्म भरना होगा.

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Last Updated : May 7, 2023, 2:54 PM IST

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