नई दिल्ली : लोगों की कमाई का जरिया बिजनेस या नौकरी होती है. जिससे उन्हें मंथली अर्निंग होती है. इस पैसे को वह अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए खर्च करते है. इसके बाद जो पैसे बचते हैं उससे वह सेविंग करते हैं. कैपिटल क्रिएशन करते हैं. कैपिटल क्रिएशन का मतलब वर्तमान की जरूरतों को पूरा करते हुए बेहतर भविष्य के बारे में सोचना जैसे बच्चों की पढ़ाई, अपना घर खरीदन या बनाना, बच्चों की शादी, फैमिली हॉलिडे और रिटायरमेंट प्लान आदि शामिल है. ऐसे में सवाल उठता है कि सेविंग या कैपिटल क्रिएशन के लिए FD vs SIP में से कौन सा ऑप्शन बेहतर है. इस सवाल का जवाब जानने के लिए Etv Bharat ने बात की मार्केट एक्सपर्ट और CA पवन जायसवाल से.
FD और SIP काम कैसे करते हैं
पवन जायसवाल ने सबसे पहले समझया कि FD और SIP काम कैसे करते हैं. FD यानी फिक्सड डिपॉजिट, जो बैंक या पोस्ट ऑफिस कहीं भी करवा सकते हैं. कुछ कंपनिज के भी एफडी होते है, आप उसमें भी निवेश कर सकते हैं. जब कोई व्यक्ति बैंक में FD करता है तो बैंक उसी पैसे से कैपिटल क्रिएट करते हैं. उदाहरण से समझें- हमारे जमा पैसों को बैंक दूसरों को लोन देती है फिर उनसे इंटरेस्ट लेकर हमरे जमा पर बैंक हमें इंटरेस्ट देती है.
वहीं, SIP यानी सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान, Mutual Fund Houses द्वारा चलाया जाता है. जिसमें इंवेस्टर के ग्रुप होते हैं. जो आपके पैसे को लेते है और डिफरेंट कैटेगरी के शेयर में एक रेसियो के हिसाब से इंवेस्ट करते हैं. अब आते हैं सवाल पर की इंवेस्टमेंट के लिए दोनों में से कौन सा ऑप्शन बेहतर है.
FD और SIP किसमें इंवेस्ट करें
पवन जायसवाल ने एक उदाहरण से देकर समझाते हुए बताया कि अगर कोई व्यक्ति SIP में 15 साल के लिए प्रति माह 15,000 रुपए जमा करता है तो एक साल में 1,80,000 रुपये जमा होंगे (15000*12=1,80,000) और 15 साल में 27 लाख का निवेश होगा, लेकिन SIP Maturity पर मिलेगा 2.90 करोड़ रुपये. वहीं, FD पर उतने ही समयावधि और रकम जमा करने पर मैच्यूरिटि पीरियड पर 38 लाख रुपये मिलेंगे. FD or SIP मैच्यूरिटि पीरियड पर मिलने वाली रकम में अंतर आप खुद देख सकते हैं.
FD or SIP कितना सैफ और रिस्की है इस बारे में बात करते हुए पवन जायसवाल ने बताया एफडी और एसआईपी दोनों ही सैफ और रिस्की हैं. Example से समझे- आपने किसी बैंक में FD किया और कुछ समय बाद बैंक दिवालिया हो गया, ऐसी सिथित में आपके कुल जमा राशि में से सिर्फ 5 लाख रुपए मिल पाएंगे, बाकी के पैसे डूब जाएंगे. हालांकि ऐसी सिचुएशन बहुत कम आती है कि बैंक दिवालिया हो जाए. अगर संक्षेप में बात कहें तो जिनको रिस्क नहीं लेना वह FD का ऑप्शन चुनें. वहीं, रिस्क लेने की क्षमता व्यक्ति के इनकम पर निर्भर करती है. समान्यत कम इनकम वाले लोग रिस्क कम लेते हैं. वहीं, अधिक इनकम वाले लोगों में रिस्क लेने की क्षमता ज्यादा होती है.