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क्लेम मांगने का तरीका पहुंचा सकता है जेल, जानिए Health Insurance के बारे में - कैशलेस इलाज

कोरोना संकट के बाद हेल्थ बीमा कराने वालों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. लेकिन हेल्थ बीमा का लाभ उठाने में लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कुछ लोगों को पास न्योक्ता कंपनी की ओर से ग्रुप बीमा के साथ-साथ पर्सनल बीमा भी होता है. दोनों में से किस बीमा का पहले उपयोग करें और बीमा का क्लेम पाने में होने वाली परेशानियों से कैसे बचें. पढ़ें पूरी खबर...

How Can Get Health Insurance Claim - concept Image
हेल्थ बीमा - प्रतीकात्मक तस्वीर

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Published : Jan 10, 2023, 2:24 PM IST

हैदराबाद:कोविड के खौफ के बीच एक बार फिर स्वास्थ्य बीमा की चर्चा हो रही है. भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (Insurance Regulatory and Development Authority of India) ने पहले ही स्वास्थ्य बीमाकर्ताओं को दावों के त्वरित निपटारा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. अगर पॉलिसी धारक कुछ बातों का ध्यान रखें तो बिना किसी परेशानी के कैशलेस इलाज करा सकते हैं. यदि आप स्वयं बिल का भुगतान करते हैं, तो आप आसानी से राशि वसूल कर सकते हैं.

दो बीमा का उपयोग करना धोखाधड़ी:
कई लोग अब एक से ज्यादा पॉलिसी ले रहे हैं. नियोक्ताओं की ओर से दी जाने वाली समूह स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी (Group Health Insurance Policy) के अलावा, वे अपनी मर्जी से दूसरी पॉलिसी चुनते हैं. इससे इस बात को लेकर संशय बना रहता है कि बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती होने पर सबसे पहले कौन सी पॉलिसी का इस्तेमाल किया जाए. एक ही समय में दो बीमा का उपयोग करना और मुआवजे की मांग करना धोखाधड़ी के अंतर्गत आएगा. इसलिए इसे कभी न आजमाएं. यदि अस्पताल का खर्च एक पॉलिसी से अधिक है तो दूसरी पॉलिसी का उपयोग करना चाहिए.

कैसे करें क्लेम :
आम तौर पर, अस्पताल में सिंगल इंश्योरर पॉलिसी की अनुमति होती है. अतिरिक्त खर्च का दावा बाद में दूसरी बीमा कंपनी से करना होगा. ऐसे में कुछ दिक्कतें आ सकती हैं. सभी बिल उस बीमा कंपनी के पास होंगे, जिसमें पहले क्लेम किया था. इसलिए, मूल बिलों के साथ, उनकी डुप्लीकेट कॉपी प्राप्त करें और बिलों का अस्पताल से एक सत्यापन करा लें. यदि पहली बीमा कंपनी तब तक आपका दावा स्वीकार नहीं करती है. तो दूसरी बीमा कंपनी को इसकी लिखित सूचना देनी चाहिए. तब बीमा कंपनी को क्लेम फाइल करने में देरी से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. कई बार यह संदर्भ (समस्या) के आधार पर भिन्न हो सकता है. इसलिए, अपनी बीमा कंपनी के सेवा केंद्र से पहले ही संपर्क करना और पूरी जानकारी जानना आवश्यक है.

कौन सी बीमा पॉलिसी पहले :
कौन सी बीमा पॉलिसी पहले इस्तेमाल की जानी चाहिए और कौन सी बाद में परिस्थितियों पर निर्भर करती है. हालांकि, परिस्थितियों को देखते हुए फैसला लेना होगा. जब किसी नियोक्ता कंपनी की ओर से कोई बीमा पॉलिसी उपलब्ध है, तो जहां तक संभव हो उसे ही पहली वरीयता दी जानी चाहिए. आमतौर पर इनमें क्लेम बोनस जैसी कोई चीज नहीं होती है. व्यक्तिगत बीमा (Personal Health Insurance Policy) के लिए नो क्लेम बोनस (No Claim Bonus) उपलब्ध है. इससे पॉलिसी का नवीनीकरण करते समय प्रीमियम कम हो जाएगा, या पॉलिसी का मूल्य भी बढ़ जाएगा. नो क्लेम बोनस (NCB) एक बीमा कंपनी की ओर से एक बीमाधारक को एक पॉलिसी वर्ष के दौरान कोई क्लेम नहीं करने के लिए दिया जाने वाला बोनस है. कुछ कंपनियां 20 से 50 फीसदी तक NCB देती है. यह राशि सीधे तौर पर देने के बजाय बीमा कंपनी पॉलिसी को नवीनीकृत करते समय छूट के रूप में देती है.

IRDAI से कर सकते हैं शिकायत
कुछ बीमा पॉलिसी चार साल के बाद ही पहले से मौजूद बीमारियों को कवर करती हैं. जबकि ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी में इस तरह की लिमिट नहीं हो सकती है. अत: ऐसे मामलों में कॉर्पोरेट बीमा का उपयोग किया जाना चाहिए. जानिए किस पॉलिसी में अस्पताल में भर्ती होने पर अधिक लाभ मिलता है. इसलिए, उस नीति का उपयोग करने में कोई कठिनाई नहीं होगी. इसके बाद भी अगर बीमा कंपनी की ओर से भुगतान में कोई परेशानी की जाती है तो IRDAI को संबंधित मामले में शिकायत या सुझाव कर सकते हैं. वहां आपकी समस्याओं को हल किया जायेगा. इसके लिए IRDAI के Toll Free Number 155255 या 1800 4254 732 कॉल कर सकते हैं. या तो इस पते पर complaints@irda.gov.in. ई-मेल कर सकते हैं.

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