नई दिल्ली : शपूरजी पलोनजी (एस पी) समूह ने दावा किया कि साइरस मिस्री को टाटा संस से अपदस्थ करना स्पष्ट रूप से यह कदम कंपनी के निदेशन के नियमों और गठन के उद्देश्य का उल्लंघन था. एस पी समूह की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने मुख्य न्यायाधीश एस बोबडे, न्यायाधीश ए एस बोपन्ना और न्यायाधीश वी रामासुब्रमणियम की पीठ के समक्ष टाटा संस के चेयरमैन के चयन के महत्व के बारे में बताया. उसने कहा कि यह पद काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह विभिन्न महाद्वीपों में कई देशों में कई पक्षों को प्रभावित करता है.
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश वकील श्याम दीवान ने टाटा संस के निदेशन के लिये बनाये गये नियम और कंपनी गठन के उद्देश्य (आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन) का जिक्र किया, उन्होंने कहा कि इसके तहत प्रावधान किया गया है कि निदेशक मंडल चेयरमैन पद पर नियुक्ति के लिये व्यक्ति की सिफारिश को लेकर चयन समिति का गठन करेगा. निदेशक मंडल सिफारिश के अनुसार संबंधित व्यक्ति को चेयरमैन नियुक्त कर सकता है. यह नियम 121 पर निर्भर है जिसके तहत सभी निदेशकों की वोट के रूप में इस पर मुहर लगनी चाहिए.
अधिवक्ता ने कहा कि यही नियम यह भी कहता है कि चेयरमैन को हटाने के लिये इसी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा. दीवान ने पीठ के समक्ष कहा जहां तक साइरस मिस्त्री को हटाये जाने का सवाल है, इस नियम का उल्लंघन किया गया है और इसीलिए यह स्पष्ट रूप से कंपनी के निदेशन के नियम और गठन के उद्देश्य का उल्लंघन था.