हैदराबाद: देश में लोकसभा चुनाव के अंतिम पड़ाव पर पहुंचने के बीच टाइम पत्रिका ने अपने अंतरराष्ट्रीय संस्करण के कवर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर के साथ एक विवादास्पद शीर्षक छापा है, लेकिन इसके नीचे ही एक अन्य शीर्षक में मोदी की प्रशंसा की गई है.
टाइम पत्रिका के एशिया संस्करण ने लोकसभा चुनाव 2019 और पिछले पांच सालों के दौरान मोदी सरकार के कामकाज पर विस्तृत खबर प्रकाशित की है. टाइम का नया इंटरनेशनल कवर, क्या दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र मोदी सरकार को आने वाले और पांच साल बर्दाश्त कर सकता है?" और 'मोदी इज इंडियाज बेस्ट होप फॉर इकॉनोमिक रिफॉर्म' शीर्षक से दो लेख छापा है.
ये भी पढ़ें-ट्रेड वार: अमेरिका ने चीनी उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाया, चीन ने दी जवाबी कार्रवाई की धमकी
टाइम मैगजीन ने अपने इस अंक में मोदी सरकार के 5 साल के कार्यकाल का लेखा-जोखा देते हुए कवर स्टोरी प्रकाशित की है. टाइम के 20 मई, 2019 का यह अंतरराष्ट्रीय संस्करण एशिया, यूरोप, मध्य पूर्व, अफ्रीका और दक्षिणी प्रशांत में भेजा जाएगा.
वादे निभाने में फेल हो गए पीएम मोदी
कवर स्टोरी में कहा गया है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में लोगों के गुस्से के देखते हुए कई आर्थिक वादे किए थे. उन्होंने नौकरी और विकास की बात की थी. लेकिन कार्यकाल के अंत में अब ये विश्वास करना मुश्किल हो गया है कि वह उम्मीदों का चुनाव था. स्टोरी में लेखक तासीर ने कहा है कि मोदी की और से किए गए आर्थिक चमत्कार लाने के वादे फेल हो गए हैं.
गुरुमूर्ति ने ही कालेधन से लड़ने के लिए नोटबंदी का सुझाव दिया
टाइम ने लिखा है कि मोदी ने लगभग हर क्षेत्र में अपने मन मुताबिक फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं. पीएम ने स्वामीनाथन गुरुमूर्ति को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में शामिल किया. गुरुमूर्ति के बारे में कोलंबिया के अर्थशास्त्री ने कहा था कि अगर गुरुमूर्ति अर्थशास्त्री हैं तो वे भरतनाट्यम डांसर. टाइम का कहना है कि गुरुमूर्ति ने ही कालेधन से लड़ने के लिए नोटबंदी का सुझाव दिया था.