नई दिल्ली: चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर शून्य से कुछ ऊपर रहने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि लॉकडाउन के बाद भी पहली तिमाही में कृषि जैसे क्षेत्र तथा आवश्यक वस्तुओं व सेवाओं का काम पूरी तरह से चल रहा था. एक रिपोर्ट में यह संभावना व्यक्त की गयी है, जिसका सह-लेखन रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन ने किया है.
रंगराजन और ईवाई इंडिया के प्रमुख नीति सलाहकार डी के श्रीवास्तव द्वारा संयुक्त रूप से लिखी गयी रिपोर्ट भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं एवं नीतिगत विकल्प: महामारी के प्रकोप से बाहर निकलना में महामारी और भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव की कहानी का वर्णन किया गया है.
ये भी पढ़ें-जीडीपी घटने से इस साल अर्थव्यवस्था को हो सकता है 20 लाख करोड़ रुपये का नुकसान : एस सी गर्ग
रिपोर्ट में कहा गया कि भले ही कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने 2020-21 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में बड़ी गिरावट आने का अनुमान व्यक्त किया है, ऐसी संभावनाएं हैं जिनके आधार पर यह माना जा सकता है कि परिणाम इन अनुमानों से ठीक-ठाक बेहतर हो सकते हैं.
गिरावट के अनुमानों में विश्वबैंक ने 3.2 प्रतिशत और भारतीय स्टेट बैंक ने 6.8 प्रतिशत की गिरावट की बात की है.