मुंबई:भारतीय रिजर्व बैंक शुक्रवार को पेश की जाने वाली अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर को यथावत रख सकता है. हालांकि, केंद्रीय बैंक सितंबर तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े उम्मीद से बेहतर रहने को देखते हुए चालू वित्त वर्ष के लिये वृद्धि दर के अपने अनुमान को जरूर संशोधित कर सकता है.
विशेषज्ञों के अनुसार खुदरा मुद्रास्फीति ऊंची बने रहने के कारण केंद्रीय बैंक नीतिगत दर में कटौती से परहेज कर सकता है. खुदरा महंगाई दर आरबीआई के संतोषजनक स्तर 4 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है. हालांकि, केंद्रीय बैंक आर्थिक वृद्धि के अनुमान को संशोधित कर सकता है.
इसका कारण दूसरी तिमाही जुलाई-सितंबर में जीडीपी में गिरावट कम होकर केवल 7.5 प्रतिशत रहना है जो विभिन्न अनुमानों की तुलना में बेहतर है. रिजर्व बैंक ने अक्टूबर में पेश मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा था कि वित्त वर्ष 2020-21 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर में 9.5 प्रतिशत गिरावट का अनुमान है.
इसमें चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 9.8 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 0.5 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान रखा गया था.
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वित्त मंत्रालय की मासिक आर्थिक समीक्षा के अनुसार वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही में जीडीपी में सालाना आधार पर 7.5 प्रतिशत की गिरावट रही जबकि तिमाही-दर-तिमाही आधार पर जीडीपी में 23 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई. जीडीपी में तीव्र गति की यह वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती को बताती है.