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मात्र 33 प्रतिशत भारतीय सीईओ को घरेलू अर्थव्यवस्था में वृद्धि पर भरोसा

भारत के '2020 इंडिया सीईओ आउटलुक: कोविड-19 स्पेशल एडिशन' में केपीएमजी रिपोर्ट ने यह खुलासा किया कि, "भारत में सीईओ अपनी कंपनियों की कमाई के बारे में भी कम आश्वस्त हैं. भारत में करीब 19 फीसदी सीईओ को उम्मीद है कि उनकी कंपनियों की कमाई या तो तटस्थ रहेगी या घट जाएगी."

मात्र 33 प्रतिशत भारतीय सीईओ को घरेलू अर्थव्यवस्था में वृद्धि पर भरोसा
मात्र 33 प्रतिशत भारतीय सीईओ को घरेलू अर्थव्यवस्था में वृद्धि पर भरोसा

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Published : Oct 7, 2020, 5:26 PM IST

नई दिल्ली: जैसा कि भारतीय सीईओ महामारी के दौर में भविष्य के लिए तैयार होने के लिए नई तकनीकों में निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं, ऐसे में मात्र 33 प्रतिशत ऐसे सीईओ हैं, जो घरेलू अर्थव्यवस्था में अपनी कंपनी की वृद्धि के प्रति आश्वस्त हैं. वहीं सिर्फ 42 प्रतिशत विकास की संभावनाओं के बारे में आशावादी हैं. यह जानकारी भारत में केपीएमजी की रिपोर्ट से बुधवार को मिली. वहीं साल की शुरुआत में दोनों मामलों में यह प्रतिशत क्रमानुसार 78 और 84 था.

भारत के '2020 इंडिया सीईओ आउटलुक: कोविड-19 स्पेशल एडिशन' में केपीएमजी रिपोर्ट ने यह खुलासा किया कि, "भारत में सीईओ अपनी कंपनियों की कमाई के बारे में भी कम आश्वस्त हैं. भारत में करीब 19 फीसदी सीईओ को उम्मीद है कि उनकी कंपनियों की कमाई या तो तटस्थ रहेगी या घट जाएगी."

हालांकि, भारत में सीईओ अपनी कंपनियों की कमाई में वृद्धि की संभावनाओं के मामले में अपने वैश्विक समकक्षों की तुलना में 23 प्रतिशत सीईओ से बेहतर स्थिति में हैं, क्योंकि वैश्विक समकक्ष अपनी कंपनियों की कमाई में स्थिरता या गिरावट की उम्मीद कर रहे हैं.

कोविड-19 के बीच भारत में सीईओ की तुलना में विश्व स्तर पर सीईओ को अपने उद्देश्य का पुनर्मूल्यांकन करने की अधिक आवश्यकता महसूस हो रही है.

विश्वभर में करीब 79 प्रतिशत सीईओ को अपने उद्देश्य का पुनर्मूल्यांकन करना पड़ा है, जबकि भारत में 37 प्रतिशत सीईओ अपने वर्तमान नेतृत्व के ²ष्टिकोण और उद्देश्य पर विश्वास कर रहे हैं.

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भारत में केपीएमजी के अध्यक्ष और सीईओ अरुण एम कुमार ने कहा, "आशांवित होते हुए, अपने वैश्विक समकक्षों के समान भारत में सीईओ वैश्विक और घरेलू आर्थिक विकास के बारे में कम आश्वस्त हैं, क्योंकि वे साल की शुरूआत में थे. उनकी कमाई का ²ष्टिकोण स्पष्ट रूप से चुनौतिपूर्ण है."

निष्कर्षों से पता चला है कि लीडर्स का एजेंडा मौलिक रूप से साल की शुरुआत से परिवर्तित हुआ है, क्योंकि मौजूदा रुझान जैसे कि लागत-अनुकूलन रणनीति, सप्लाई चेन रणनीति पर पुनर्विचार, ईएसजी (पर्यावरण, सामाजिक और कॉपोर्रेट प्रशासन) कार्यक्रमों को बढ़ाना और नए काम के साथ तालमेल बिठाने जैसी वास्तविकताओं में तेजी आई है.

भारत में एक तिहाई सीईओ को देश की आर्थिक वृद्धि में विश्वास है और 62 प्रतिशत सीईओ ने अपने स्वयं के मुआवजे को बदल दिया है.

भारत में केपीएमजी में क्लाइंट्स एंड मार्केट्स, पार्टनर और हेड विक्रम होसांगडे ने कहा, भले ही जो भी हो, कोविड-19 ने कंपनियों में डिजिटल परिवर्तन में तेजी लाने के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में काम किया है.

(आईएएनएस)

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