नई दिल्ली :देश नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है लेकिन इस क्षेत्र में 2022 तक 1,75,000 मेगावाट उत्पादन क्षमता का लक्ष्य हासिल करने के लिये नये साल में 35,000 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता सृजित करने की जरूरत होगी.
इसके लिये सरकार को 1.75 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश प्राप्त करने के लिये बोली स्तर पर और अधिक नवोन्मेषी रुख अपनाने पर गौर करना होगा.
फिलहाल भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में कुल स्थापित क्षमता 90,000 मेगावाट है. इसमें 39,000 मेगावाट पवन और 37,000 मेगावाट सौर उत्पादन क्षमता शामिल हैं. इसके अलावा करीब 50,000 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता पर काम चल रहा है तथा 30,000 मेगावाट क्षमता नई बोली को लेकर पाइपलाइन में हैं.
सोलर पॉवर डेवलपर्स एसोसिएशन के महानिदेशक शेखर दत्त ने पीटीआई-भाषा से कहा, "कुल 1,75,000 मेगावाट की स्थापित क्षमता हासिल करने के लिये 35,000 मेगावाट (बोली के अंतर्गत या बोली मंगायी जाने की प्रक्रिया में) की जरूरत है और इसके लिये 1.75 लाख करोड़ रुपये के कोष की जरूरत होगी."
उन्होंने यह भी कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं का क्रियान्वयन और निवेशकों को आकर्षित करने के लिये निविदा प्रक्रिया में अनूठेपन की 2021 में महत्वपूर्ण भूमिका होगी.
दत्त ने कहा कि बड़े पैमाने पर जीवाश्म ईंधन की जगह नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग सुनिश्चत करने के लिये भारत को पवन, सौर और ऊर्जा भंडारण को शामिल कर नवोन्मेषी निविदा प्रक्रिया तैयार करने की जरूरत है.
यह साल नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिये चुनौती भरा रहा लेकिन उद्योग सरकार की मदद से महामारी के कारण उत्पन्न संकट से पार पाने में सफल रहा.
इतना ही नहीं क्षेत्र में निवेशकों का भरोसा और बढ़ा है. यह बात सौर बिजली दर से पता चलती है जो मनोवैज्ञानिक स्तर 2 रुपये प्रति यूनिट से भी नीचे चली गयी है.
उल्लेखनीय है कि गुजरात ऊर्जा विकास निगम लि. (जीयूवीएनएल) की दिसंबर में 500 मेगावाट क्षमता की नीलामी में 1.99 रुपये प्रति यूनिट की अब तक की सबसे कम दर की बोली लगायी गयी. इससे पहले, सौर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सेकी) की नवंबर में 1,070 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं की नीलामी में न्यूनतम 2 रुपये प्रति यूनिट की बोली लगायी गयी थी.