नई दिल्ली :नये साल में बैंकों के सामने फंसे कर्ज की समस्या से निपटना मुख्य चुनौती होगी. कई कंपनियों खासतौर से सूक्ष्म, लघु एवं मझौली (एमएसएमई) इकाइयों के समक्ष कोरोना वायरस महामारी से लगे झटके के कारण मजबूती से खड़े रहना संभव नहीं होगा, जिसकी वजह से चालू वित्त वर्ष की शुरुआती तिमाहियों के दौरान अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट देखी गई.
बैंकों को आने वाले महीनों में कमजोर कर्ज वृद्धि की चुनौती से भी निपटना होगा. निजी क्षेत्र का निवेश इस दौरान कम रहने से कंपनी क्षेत्र में कर्ज वृद्धि पर असर पड़ा है. बैंकिंग तंत्र में नकदी की कमी नहीं है लेकिन इसके बावजूद कंपनी क्षेत्र से कर्ज की मांग धीमी बनी हुई है.
बैंकों को उम्मीद है कि अर्थव्यवस्था में उम्मीद से बेहतर सुधार के चलते जल्द ही कर्ज मांग ढर्रें पर आयेगी. देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में पहली तिमाही के दौरान जहां 23.9 प्रतिशत की गिरावट आई थी वहीं दूसरी तिमाही में यह काफी तेजी से कम होकर 7.5 प्रतिशत रह गई. लेकिन उद्योग जगत के विश्वास और धारणा में अभी वह मजबूती नहीं दिखाई देती हैं जो सामान्य तौर पर होती है.
पिछले कुछ सालों के दौरान निजी क्षेत्र का निवेश काफी कम बना हुआ है और अर्थव्यवस्था को उठाने का काम सार्वजनिक व्यय के दारोमदार पर टिका है. बैंकिंग क्षेत्र का जहां तक सवाल है वर्ष के शुरुआती महीनों में ही कोरोना वायरस के प्रसार से उसके कामकाज पर भी असर पड़ा. गैर- निष्पादित राशि (एनपीए) यानी फेसे कर्ज से उसका पीछा छूटता हुआ नहीं दिखा.
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इस मामले में पहला बड़ा झटका मार्च में उस समय लगा जब रिजर्व बैंक ने संकट से घिरे येस बैंक के कामकाज पर रोक लगा दी. जैसे ही येस बैंक का मुद्दा संभलता दिखा तो अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस महामारी की जकड़ में आ गई. देशव्यापी लॉकडाउन लगा दिया गया और संसद के बजट सत्र को भी समय से पहले ही स्थगित करना पड़ा.
हालांकि, वर्ष के दौरान सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय की प्रक्रिया को नहीं रुकने दिया. सार्वजनिक क्षेत्र के छह बैंकों को अन्य चार बैंकों के साथ मिला दिया गया. देश में बड़े वित्तीय संस्थानों को खड़ा करने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया.
एक अप्रैल से यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया और ओरिएंटल बैंक आफ कामर्स को पंजाब नेशनल बैंक के साथ मिला दिया गया. इस विलय से पीएनबी देश का सार्वजनिक क्षेत्र का दूसरा बड़ा बैंक बन गया. वहीं आंध्र बैंक और कार्पोरेशन बैंक को मुंबई सथित यूनियन बैंक आफ इंडिया के साथ विलय कर दिया गया. सिंडीकेट बैंक को केनरा बैंक के साथ वहीं इलाहाबाद बैंक का विलय चेन्नई स्थित इंडियन बैंक के साथ कर दिया गया.