नई दिल्ली:सरकर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) पर बढ़े अधिभार को लेकर जल्द स्पष्टीकरण जारी करेगी. एक कर अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी.
इस बात को लेकर चिंता जताई जा रही है कि अत्यधिक अमीरों (सुपर रिच) पर अधिभार बढ़ने से विदेशी कोषों का भारत में निवेश प्रभावित हो सकता है क्योंकि इसी तरह का कर ढांचा व्यक्तिगत करदाताओं, एचयूएफ और एसोसिएशंस आफ पर्सन्स (एओपी) पर भी लागू होता है.
विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ एफपीआई ट्रस्ट वाले कर ढांचे पर चलते हैं, ऐसे में उन्हें एओपी के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन पी सी मोदी ने यहां उद्योग मंडल एसोचैम के कार्यक्रम में कहा, "यह मामला हमारे संज्ञान में लाया गया है। हम जल्द इस पर स्पष्टीकरण जारी करेंगे."
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने पिछले सप्ताह वित्त वर्ष 2019-20 का बजट पेश करते हुए दो से पांच करोड़ रुपये की कर योग्य आय पर कर अधिभार को 15 से बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने और पांच करोड़ रुपये से अधिक की आय पर 15 से बढ़ाकर 37 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया है.
अधिभार बढ़ने के बाद दो से पांच करोड़ रुपये की कर योग्य आय वालों पर कर की प्रभावी दर 35.88 प्रतिशत से बढ़कर 39 प्रतिशत तथा पांच करोड़ रुपये से अधिक कमाई करने वालों पर बढ़कर 42.7 प्रतिशत हो जाएगी.