नई दिल्ली: सरकार का सुधारों के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण को लेकर स्पष्ट रुख है और इसको लेकर उसे किसी तरह का खेद नहीं है. प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने शुक्रवार को यह बात कही.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने 20 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत अभियान पैकेज की पांचवीं किस्त की घोषणा करते हुए कहा था कि रणनीतिक क्षेत्रों में अधिकतम चार सार्वजनिक उपक्रम रहेंगे, जबकि अन्य क्षेत्रों में उपक्रमों का अंतत: निजीकरण किया जाएगा.
उन्होंने कहा था कि यह एक नई सुसंगत सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम नीति का हिस्सा होगा. यह नीति सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (सीपीएसई) में सुधारों को आगे बढ़ाने का काम करेगी.
सरकार के निजीकरण अभियान का उल्लेख करते हुए सान्याल ने कहा, "हमें मालूम है कि इन परिस्थितियों में निजीकरण करना मुश्किल है, लेकिन इसके लेकर हम पूरी तरह से स्पष्ट हैं और हमें इसका खेद नहीं है. सभी गैर-रणनीतिक सार्वजनिक उपक्रमों को जब हम बेच सकेंगे, उस समय बेचेंगे. हमारे पास इसके लिए इच्छाशक्ति की कमी नहीं है."
उन्होंने कहा कि आवश्यक वस्तु अधिनियम को सबसे पवित्र कानून समझा जाता था और इसे ईश्वर के दस आदेशों में माना जाता था, लेकिन अब सरकार ने इसे बदल दिया है.
उन्होंने कहा कि हम श्रम कानूनों और अन्य दस तरह के आदेशों को बदलेंगे. वास्तव में हम सुरक्षा और कार्यस्थल की स्थिति से संबंधित कानूनों को कड़ा करेंगे.