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Published : May 26, 2020, 11:57 PM IST

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भारतीय अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष में आएगी पांच प्रतिशत की गिरावट: फिच रेटिंग्स

इससे पहले फिच ने अप्रैल में अनुमान लगाया था कि चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी की वृद्धि दर 0.8 प्रतिशत रहेगी. अब फिच ने अपने इस अनुमान को काफी अधिक घटा दिया है.

भारतीय अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष में आएगी पांच प्रतिशत की गिरावट: फिच रेटिंग्स
भारतीय अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष में आएगी पांच प्रतिशत की गिरावट: फिच रेटिंग्स

नई दिल्ली: फिच रेटिंग्स ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष (2020-21) में भारतीय अर्थव्यवस्था में पांच प्रतिशत की गिरावट आएगी. फिच ने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से देश में सख्त लॉकडाउन नीति लागू की गई है. इससे आर्थिक गतिविधियों में जबर्दस्त गिरावट आई, जिसका सीधा असर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पर पड़ेगा.

इससे पहले फिच ने अप्रैल में अनुमान लगाया था कि चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी की वृद्धि दर 0.8 प्रतिशत रहेगी. अब फिच ने अपने इस अनुमान को काफी अधिक घटा दिया है.

रेटिंग एजेंसी ने कहा कि उसने मई के अपने ताजा वैश्विक आर्थिक परिदृश्य (जीईओ) में वैश्विक जीडीपी के अनुमान में कटौती की है. लेकिन वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में गिरावट अब धीरे-धीरे समाप्त हो रही है.

फिच ने कहा कि सबसे अधिक कटौती भारत की वृद्धि दर में की गई है. चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में पांच प्रतिशत की भारी गिरावट आएगी. पहले भारतीय अर्थव्यवस्था में 0.8 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया गया था.

फिच ने कहा, "भारत में काफी सख्त लॉकडाउन नीति लागू की गई है. इसके अलावा राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध उम्मीद से कहीं अधिक लंबा खिंच गये हैं. जो आर्थिक गतिविधियों के आंकड़े आ रहे हैं, वे बहुत ज्यादा कमजोर हैं."

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पिछले वित्त वर्ष की अनुमानित वृद्धि दर 3.9 प्रतिशत रहने का अनमान है. हालांकि, इसके साथ फिच ने कहा कि 2021-22 में भारत की वृद्धि दर सुधार के साथ 9.5 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी.

फिच रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री ब्रायन कुल्टन ने कहा, "2020 में वैश्विक जीडीपी में अब 4.6 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है. अप्रैल में इसमें 3.9 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया गया था. यह यूरोक्षेत्र और ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर के अनुमान को और घटाने की वजह से है. इसके अलावा चीन को छोड़कर अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर के अनुमान को भी कम किया गया है."

(पीटीआई-भाषा)

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