नई दिल्ली: देश में वित्त वर्ष 2018-19 के शुरुआती नौ माह के दौरान प्राप्त प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की हिस्सेदारी एक चौथाई रही. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दिल्ली के साथ साथ उत्तर प्रदेश और हरियाणा का भी कुछ हिस्सा शामिल है. आलोच्य अवधि में प्राप्त कुल एफडीआई में महाराष्ट्र, दादर और नागर हवेली तथा दमन एवं दीव की हिस्सेदारी करीब 24 प्रतिशत रही.
यह आंकड़ा कंपनियों द्वारा रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालयों को दी गयी जानकारी पर आधारित है. हालांकि, यह कोई जरूरी नहीं है कि संबंधित क्षेत्र में निवेश किया ही गया हो. दिसंबर 2018 को समाप्त नौ महीने की अवधि में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 8.3 अरब डालर मूल्य का एफडीआई आया.
एफडीआई में दिल्ली-एनसीआर ने महाराष्ट्र को पीछे छोड़ा
दिसंबर 2018 को समाप्त नौ महीने की अवधि में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 8.3 अरब डालर मूल्य का एफडीआई आया. वहीं, महाराष्ट्र क्षेत्र में इसी अवधि में 8 अरब डालर का निवेश प्राप्त किया गया है.
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वहीं, महाराष्ट्र क्षेत्र में इसी अवधि में 8 अरब डालर का निवेश प्राप्त किया गया है. आलोच्य अवधि में जिन अन्य क्षेत्रों में निवेश आया, उसमें बेंगलूरू (4.44 अरब डालर), चेन्नई (2 अरब डालर), अहमदाबाद (1.67 अरब डालर) तथा कानपुर (2.6 करोड़ डालर) शामिल हैं. इस अवधि के दौरान देश में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 7 प्रतिशत घटकर 33.5 अरब डालर रहा.
जिन प्रमुख क्षेत्रों में अधिकतम विदेशी निवेश आया, उसमें सेवा क्षेत्र, कंप्यूटर साफ्टवेयर तथा हार्डवेयर, दूरसंचार, ट्रेडिंग, रसायन तथा वाहन शामिल हैं. वित्त वर्ष 2018-19 के अप्रैल-दिसंबर में आये एफडीआई में सिंगापुर प्रमुख स्रोत रहा. वहीं से 12.97 अरब डालर का निवेश आया.
उसके बाद क्रमश: मारीशस (6 अरब डालर), नीदरलैंड (2.95 अरब डालर), जापान (2.21 अरब डालर), अमेरिका (2.34 अरब डालर) तथा ब्रिटेन (1.05 अरब डालर) का स्थान रहा. विदेशी पूंजी निवेश में कमी से देश के भुगतान संतुलन के साथ रुपये की विनिमय दर पर असर पड़ सकता है.
(भाषा)