नई दिल्ली: देशभर के व्यापारियों के संगठन 'कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट)' ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भेजे एक पत्र में चेक बाउंस को अपराध की श्रेणी से हटाने के प्रस्ताव को लेकर गहरी आपत्ति जताई हैं.
संगठन ने कहा है कि इससे न केवल चेक की विश्वसनीयता में कमी आयेगी बल्कि यह प्रधानमंत्री के देश में उचित और भरोसेमंद कारोबारी माहौल बनाने के प्रयासों को भी झटका लगेगा.
कैट ने पत्र में कहा है कि देशभर का व्यापारिक समुदाय सरकार के इस प्रस्ताव से काफी विचलित हुआ है. सरकार के परक्राम्य लिखत कानून के तहत धारा 138 को गैर- अपराधिक बनाने के प्रस्ताव को लेकर बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है. कानून की यह धारा जारी किये गये चेक के बाउंस होने को अपराधिक जुर्म की श्रेणी में लाती है.
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भारतोया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की सरकार का यह कदम देश में छोटे मामलों को अदालत में न जाने एवं अदालतों पर से काम का बोझ कम करने के बारे में एक अच्छी सोच है किन्तु व्यापार से सम्बंधित एक महत्वपूर्ण धारा 138 को गैर- आपराधिक बनाने से उन लोगों के हौसलें बुलंद होंगे जो आदतन अपराधी हैं और चेक देकर व्यापारियों से सामान लेकर लापता हो जाएंगे और उनके चेक बाउंस हो जायेंगे.
कैट ने कहा कि इससे न केवल व्यापार बल्कि आम लोगों को भी काफी परेशानी होगी. संगठन ने कहा है कि यदि इस धारा को गैर- आपराधिक बना दिया तो ईमानदार व्यापारी जो पोस्ट डेटेड चेक देकर माल लेता है उसके समक्ष बड़ी परेशानी खड़ी होंगी, वहीँ दूसरी ओर आम लोग भी समान मासिक किस्तों (ईएमआई) पर कई सामान एवं घर खरीदते हैं.
ईएमआई के रूप में पोस्ट डेटेड चेक देते हैं. लेकिन इस धारा को गैर आपराधिक बना दिये जाने के बाद कोई भी पोस्ट डेटेड चेक स्वीकार नहीं करेगा.