नई दिल्ली: रसोई के बर्तन, घरेलू सामान और चप्पल जूते पर सीमा शुल्क बढ़ाने से इन वस्तुओं के महंगे होने को लेकर बढ़ रही आशंका के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि देश में विनिर्माण गतिविधियों को बढ़ावा देने के इरादे से ही बजट में कुछ तैयार उत्पादों के आयात पर सीमा शुल्क बढ़ाया है.
जिन वस्तुओं पर सीमा शुल्क बढ़ाया गया है, उनमें से ज्यादातर का उत्पादन देश में पहले से हो रहा है. सीतारमण ने बजट बाद संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा कि जिन वस्तुओं पर सीमा शुल्क बढ़ाया गया है, उनमें से ज्यादातर का उत्पादन देश में हो रहा है. देशहित में और छोटे उद्योगों का ध्यान रखते हुय ही इन पर सीमा शुल्क बढ़ाया गया है.
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घरेलू उद्योगों के हित में बढ़ाया गया कुछ तैयार उत्पादों पर सीमा शुल्क: सीतारमण
वित्त मंत्री के शनिवार को पेश 2020-21 के बजट में चप्पल, जूतों पर सीमा शुल्क 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 35 प्रतिशत, चीन से आयात होने वाले खाने-पीने के बर्तन, रसोई के बर्तन, पानी का फिल्टर (40 लीटर तक क्षमता वाले) और घरों में उपयोग होने वाले अन्य सामान पर आयात शुल्क 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया गया है.
वित्त मंत्री के शनिवार को पेश 2020-21 के बजट में चप्पल, जूतों पर सीमा शुल्क 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 35 प्रतिशत, चीन से आयात होने वाले खाने-पीने के बर्तन, रसोई के बर्तन, पानी का फिल्टर (40 लीटर तक क्षमता वाले) और घरों में उपयोग होने वाले अन्य सामान पर आयात शुल्क 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया गया है.
इसी प्रकार, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में अखरोट पर सीमा शुल्क 30 प्रतिशत से बढ़ाकर सीधे 100 प्रतिशत, चीनी मिट्टी के बर्तनों पर सीमा शुल्क 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया गया है. सीतारमण ने कहा कि इन वस्तुओं का देश में भी उत्पादन हो रहा है.
इनकी गुणवत्ता में भी ज्यादा अंतर नहीं है, इसलिये इनके आयात पर शुल्क बढ़ाया गया है ताकि विदेशी मुद्रा को बचाया जा सके. जो उत्पाद हमारी अर्थव्यवस्था के लिये जरूरी नहीं है, लेकिन व्यक्तिगत तौर पर उसकी जरूरत है तो आप उसे मंगाइये. हमें तो यह देखना है कि देश हित में है कि नहीं, छोटे उद्योगों को फायदा होगा कि नहीं.
उन्होंने कहा कि इनमें कच्चे माल को शामिल नहीं किया गया है. मध्यवर्ती सामान भी इनमें शामिल नहीं होगा. ऐसे सामान पर शुल्क नहीं बढ़ाया गया है. विदेश यात्रा करने अथवा विदेशों में बच्चों को पढ़ाई के लिये भेजने पर सात लाख रुपये की विदेशी मुद्रा खर्च करने को भी कर के दायरे में लाया गया है.
इसके बारे में पूछे गये सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा, "आप विदेश भेज रहे हैं कोई समस्या नहीं, एक साल में सात लाख रुपये से खर्च कर रहे हैं, आपकी कमाई कितनी होगी, उसमें से सरकार यदि थोड़ा बहुत लेती है तो कोई बुराई नहीं."
बजट में असेंबल इन इंडिया पर जोर दिया गया है, क्या मेक इन इंडिया को छोड़ दिया गया है? इस सवाल पर सीतारमण ने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है मेक इन इंडिया भी चलता रहेगा. देश में कौशल बढ़ रहा है, निपुणता बढ़ रही है.
असेंबलिंग भी कम नहीं है. दोनों में ही सम्मानजनक रोजगार है. दोनों बढ़ेंगे. बजट भाषण में दस प्रतिशत आर्थिक वृद्धि (बाजार मूल्य पर आधारित) का अनुमान व्यक्त किये जाने के बारे में पूछे जाने पर वित्त मंत्री ने कहा कि अर्थशास्त्रियों के बीच यह वृद्धि काफी चर्चित है. यह कोई नया पैमाना नहीं है. इसमें मुद्रास्फीति शामिल रहती है.
(पीटीआई-भाषा)